Streedesh : आज भले ही कश्मीर में महिलाओं की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, परंतु शताब्दियों पहले कश्मीर में कई महिलाओं ने अपनी प्रशासनिक, शासन संचालन और वीरता से कश्मीर को एक आदर्श स्थान बनाने का कार्य किया था। ये कुल 13 महिलाओं की शौर्यगाथा की कहानी है फिल्म 'स्त्रीदेश', जिसकी स्क्रीनिंग इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के 'समवेत' ऑडिटोरियम में बुधवार को की गई। फिल्म का निर्माण आईजीएनसीए किया है तथा इसके निर्देशक आशीष कौल जी हैं।
आशीष कौल ने कहा कि फिल्म में सिर्फ 13 महिला शासकों के बारे में बताया गया है, परंतु इनके अलावा भी कई ऐसी महिला शासक हैं जिनके बारे में वर्तमान में देश के लोगों को नहीं पता है। उन्होंने इनके बारे में इतिहास में पढ़ा ही नहीं। हम सभी को ऐसी महिला वीरांगनाओं की कहानियों को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करना होगा। फिल्म के प्रदर्शन के बाद दर्शकों से बातचीत करते हुए आईजीएनसीए मीडिया सेंटर के नियंत्रक अनुराग पुनेठा ने कहा कि इस फिल्म के माध्यम से हमने उन 13 महिलाओं बारे में लोगों को बताने की कोशिश की है, जिन्हें भुला दिया गया। बड़ी संख्या में दर्शकों ने फिल्म को देखा और करतल ध्वनि से फिल्म की सराहना की।
ये महिलाएं यशोवति, सुगंधादेवी, दिद्दा, कोटा देवी, इशान देवी, वाक्पुशटा, श्रीलेखा, सूर्यमती, कलहानिका, सिल्ला, चुड्डा, लछमा, बीबी हौरा स्त्रीदेश की महनायिकाएं हैं। ये केवल नाम भर नहीं हैं। ये भारत के गौरवशाली इतिहास के वो कहानियां हैं जो कभी किसी ने पढ़ा नहीं। इन महिलाओं ने वह कर दिखाया जिसने कभी सोचा न था चाहे वो पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम हो, लोकतंत्र हो, कर सुधार व्यवस्था हो, नहर व्यवस्था हो, भवन निर्माण तकनीक हो, वर्तमान ओपन हॉल संवाद संस्कृति हो ,पहली ब्लैक कमांडो फोर्स हो, सबकी नींव यहीं हमारे भारत और कश्मीर में अलग अलग समय में इन रानियों ने ही रखी।
महाभारत काल में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने ही कश्मीर की पहली महिला शासक यशोवती का राज्याभिषेक कराया और तब कश्मीर को स्त्रीदेश का नाम मिला। इसके उपरांत 14वीं शताब्दी तक कश्मीर में महिला शासकों ने ही राज्य किया,इन्होंने अपने वीरता से कई युद्ध जीते और जन कल्याण के लिए काम किए। कश्मीर की ही एक महिला शासक ने विश्व में पहली बार जन वितरण प्रणाली जैसी व्यवस्था की शुरुआत की थी। दुखद बात यह है कि इतिहास इन महान वीरांगनाओं की कहानी को भूल चुका है इसलिए 'स्त्रीदेश' फिल्म के माध्यम से लोगों को परिचित कराने का प्रयास किया गया।