Swarveda Mahamandir - गुरु परंपरा को समर्पित इस महामंदिर को योग साधकों की साधना के लिए तैयार किया गया है। (Wikimedia Commons) 
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संगमरमर की दीवारों पर लिखे हुए है दोहे, बिना प्रतिमाओं का है ये मंदिर

19 साल तक लगातार 600 कारीगर, 200 मजदूर और 15 इंजीनियर की मेहनत आज महामंदिर के पूर्ण स्वरूप में साकार हो चुकी है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Swarveda Mahamandir - वाराणसी दौरे के दूसरे दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन कर दिया है। स्वर्वेद महामंदिर देश ही नहीं दुनिया का अनोखा मंदिर है। यहां देवी और देवता की प्रतिमा नहीं है। मंदिर में पूजा की जगह ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए योग साधना की जाएगी। दीवारों पर 3137 स्वर्वेद के दोहे लिखे गए हैं।गुरु परंपरा को समर्पित इस महामंदिर को योग साधकों की साधना के लिए तैयार किया गया है।

स्वरर्वेद का मतलब है आत्मा से ज्ञान की प्राप्ति। (Wikimedia Commons)

क्या है स्वर्वेद ग्रंथ?

स्वर्वेद ग्रंथ के पांच मंडल हैं। योगी सदगुरु महर्षि सदाफलदेव की अमूल्य कृति है। स्वरर्वेद का मतलब है आत्मा से ज्ञान की प्राप्ति। महर्षि सदाफल देव महाराज ने 17 सालों की साधना के बाद स्वर्वेद के ज्ञान को आम जनमानस को उपलब्ध कराया। हिमालय में उन्होंने ग्रंथ स्वर्वेद को लिपिबद्ध किया। स्वर्वेद चेतन योग समाधि की अवस्था में प्राप्त प्रत्यक्ष आध्यात्मिक अनुभवों का एक संकलन है। परमाणु से परमात्मा तक के समस्त ब्रह्म तत्व ज्ञान को सरल हिंदी भाषा में दोहों के रूप में व्यक्त कर के स्वर्वेद ग्रंथ बनाया गया।

इसमें साधक विहंगम योग के सैद्धांतिक व क्रियात्मक बोध का ज्ञान प्राप्त करेंगे। (Wikimedia Commons)

क्या है विशेषताएं?

सात मंजिला और 180 फीट ऊंचे इस मंदिर की संगमरमर की दीवारों पर स्वर्वेद के चार हजार दोहे लिखे हैं। 19 साल तक लगातार 600 कारीगर, 200 मजदूर और 15 इंजीनियर की मेहनत आज महामंदिर के पूर्ण स्वरूप में साकार हो चुकी है। हालांकि मंदिर का प्रथम तल ही आम लोगों के लिए खुलेगा और इसे पूरी तरह शुरू होने में अभी भी दो साल का समय और लगेगा। इसी सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी आम जनता को समर्पित किए।

प्रथम तल पर स्वर्वेद प्रथम मंडल के दोहे एवं बाहरी दीवारों पर 28 प्रसंग जो वेद , उपनिषद, गीता , महाभारत, रामायण की थीम लेकर बनाए गए हैं।

प्रथम तल से पांचवें तल तक आंतरिक दीवारों पर स्वर्वेद के दोहे एवं बाहरी दीवारों पर उपनिषद, गीता, रामायण के प्रेरक प्रसंग दर्शाए गए हैं। सातवें तल पर आधुनिक तकनीक से युक्त दो अत्याधुनिक ऑडिटोरियम हैं। इसमें साधक विहंगम योग के सैद्धांतिक व क्रियात्मक बोध का ज्ञान प्राप्त करेंगे। मंदिर के चारों तरफ परिक्रमा परिपथ भी है।

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