TRAI SIM Card New Rule :नियमों में बदलाव करने से फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है।(Wikimedia Commons) 
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सिम कार्ड फ्रॉड पर लगेगी रोक! ट्राई ने लाया नया नियम, जुलाई से होगा लागू

फ्रॉड्स के पास आपका अच्छा-खासा डेटा मौजूद होता है। उन्हें यूजर का नाम, पता और दूसरी डिटेल्स पता होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुऐ मोबाइल सिम कार्ड के नए नियम बनाए गए हैं। बीते 15 मार्च के दिन टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से नए नियम जारी कर दिए गए हैं

न्यूज़ग्राम डेस्क

TRAI SIM Card New Rule : देश में मोबाइल द्वारा फ्रॉड बढ़ता ही जा रहा है। ऑनलाइन ठगी की बात करें, तो इससे जुड़ा मामला भी दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। कुछ स्कैम ऐसे भी हैं, जिसमें फ्रॉड्स के पास आपका अच्छा-खासा डेटा मौजूद होता है। उन्हें यूजर का नाम, पता और दूसरी डिटेल्स पता होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुऐ मोबाइल सिम कार्ड के नए नियम बनाए गए हैं। बीते 15 मार्च के दिन टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से नए नियम जारी कर दिए गए हैं, जो 1 जुलाई 2024 से देशभर में लागू हो जाएंगे। ट्राई का कहना है कि नियमों में बदलाव करने से फ्रॉड की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है। इस नए नियम के आने पर आम यूजर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

क्या है सिम स्वैपिंग फ्रॉड

इस आधुनिक दौर में सिम स्वैपिंग फ्रॉड काफी बढ़ गए हैं, जिसमें फ्रॉड करने वाले आपके पैन कार्ड और आधार की फोटो काफी आसानी से हालिस कर लेते हैं। इसके बाद वे मोबाइल खो जाने का बहाना बनाकर नया सिम कार्ड जारी करा लेते हैं और फिर आपके नंबर पर आने वाली ओटीपी आसानी से फ्रॉड करने वालों के पास पहुंच जाती है।

इस आधुनिक दौर में सिम स्वैपिंग फ्रॉड काफी बढ़ गए हैं(Wikimedia Commons)

अब नहीं होगा पोर्ट

इसका सीधा असर उन मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं पर पड़ने वाला है जो अपना नंबर किसी दूसरे ऑपरेटर में पोर्ट कराने के लिए टाइप कर रहे होंगे। ट्राई के मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) नियम के अनुसार सिम कार्ड उपयोगकर्ता यदि पिछले सात दिनों में नया भौतिक कार्ड बदल चुके हैं या खरीद चुके हैं तो वे अपना नंबर पोर्ट नहीं कर पाएंगे।

ट्राई ने की दूरसंचार विभाग से सिफारिश

ट्राई ने दूरसंचार विभाग को एक नई सर्विस शुरु करने की शिफारिश की है, जिसमें मोबाइल यूजर के हैंडसेट पर आने वाली हर कॉल का नाम डिस्प्ले है, फिर चाहे वो नाम कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव हो या नहीं। इससे फ्रॉड की घटनाओं पर बहुत हद तक लगाम लगाया जा सकता है। लेकिन इससे प्राइवेसी को लेकर सवाल उठाए गए हैं।

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