19 दिसंबर एपस्टीन फ़ाइल खुलेगी और उसके बाद पीएम मोदी को इस्तीफा देना होगा!  X
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19 दिसंबर के बाद नरेंद्र मोदी नहीं होंगे पीएम? क्या है एपस्टीन फ़ाइल जिसके खुलते ही भारतीय राजनीति में आएगा भूचाल

19 दिसंबर को अमेरिका में एपस्टीन फ़ाइल खुलेगा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देना पड़ सकता है। अगर ये फाइल खुलती है, तो इसका असर भारतीय राजनीति पर देखने को मिल सकता है।

Author : न्यूज़ग्राम डेस्क
Reviewed By : Priyanka Singh

Summary

19 दिसंबर को एपस्टीन फाइल खुलेगी, जिसमें मोदी, हरदीप सिंह पुरी और अनिल अंबानी के नाम हो सकते हैं।

एपस्टीन अरबपति था, जिसपर नाबालिगों के यौन शोषण के आरोप थे, और उसका संबंध बिल क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप से भी था।

विपक्षी नेता 19 दिसंबर को बड़े राजनीतिक बदलाव और मोदी के इस्तीफे की उम्मीद कर रहे हैं।

भारतीय लोककथाओं में एक कहानी बहुत प्रसिद्ध है। राजा और तोता वाली, जिसमें राजा जान उसके शरीर में नहीं, बल्कि एक तोते में छिपी होती है। जब एक राजकुमार उस तोते को नष्ट करता है, तो अत्याचारी राजा का अंत हो जाता है और न्याय की जीत होती है।

ऐसा ही कुछ लग रहा है कि भारतीय राजनीति में हो सकता है। विपक्षी नेता ये दावा कर रहे हैं कि अमेरिका में जैसे ही एपस्टीन फ़ाइल (epstein files) खुलेगी, देश की राजनीति का भूगोल बदल जाएगा क्योंकि केंद्र की सत्ताधारी पार्टी के कई राज भी एपस्टीन फ़ाइल दफन है।

विपक्षी दलों ने तो यहाँ तक दावा कर दिया है कि जैसे ही 19 दिसंबर को ये फाइल खुलेगी, उसके बाद नरेंद्र मोदी को पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा। तो ऐसे में आज समझते हैं कि ये एपस्टीन फ़ाइल है क्या? जिसके खुलते ही भारतीय राजनीति में भूचाल आ जाएगा और इस फाइल में क्या-क्या राज दफन हैं, इसे भी समझते हैं।

क्या है एपस्टीन फ़ाइल?

एपस्टीन फ़ाइल (epstein files) एक सरकारी दस्तावेज है, जिसमें अमेरिकी अरबपति और सेक्स-ट्रैफिकिंग आरोपी जेफ्री एपस्टीन और उसके नेटवर्क से जुड़े कई राज इसमें दफन हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक FBI की फाइल में कोर्ट की रिपोर्ट, गवाहों के बयान, उड़ान-लॉग, फोटो और वित्तीय रिकॉर्ड शामिल हो सकते हैं। 19 दिसंबर को इसे सार्वजनिक किया जाएगा और कहा जा रहा है कि उस दिन कई गुप्त जानकारियां सामने आ सकती हैं।

कहा जा रहा है कि इसमें अमेरिका के साथ-साथ भारत-ब्रिटेन और अन्य देशों के भी बड़े-बड़े राज खुल सकते हैं। हालांकि, जो लोग पीड़ित हैं, उनकी पहचान और संवेदनशील जानकारियों को छुपाया जाएगा। बता दें कि 19 नवंबर को ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे सार्वजानिक करने की घोषणा की थी। ये सारा जो प्रपंच फैला हुआ है, उसके तार जेफ्री एपस्टीन से जुड़े हैं। ये कौन है? इसकी हम आगे चर्चा करेंगे।

भारत से क्यों जुड़ रहे हैं तार?

अब सवाल ये है कि एपस्टीन फ़ाइल (epstein files) खुल तो अमेरिका में रहा है लेकिन इसके तार भारत से कैसे जुड़ रहे हैं और देश के लिए क्यों चिंताजनक बात लग रही है? तो इसका जवाब ये है कि इसमें केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, पीएम नरेंद्र मोदी और अनिल अंबानी का जिक्र बताया जा रहा है। अगर ये फाइल खुलती है, तो इसका असर भारतीय राजनीति पर देखने को मिल सकता है। ये कहना है, एक नामचीन मीडिया हॉउस 'द वायर' (The Wire) का। 'द वायर' (The Wire) ने एक रिपोर्ट छापी है, जिसमें इन तीनों का जिक्र है। रिपोर्ट में क्या कहा गया है, इसे समझते हैं।

नरेंद्र मोदी

शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करते हैं। 'द वायर' (The Wire) ने 'ड्रॉप साइट न्यूज़' (DropSIte News) के हवाले से ये खबर 21 नवंबर 2025 को छापी है। इसमें कहा गया है कि साल 2019 में जेफ्री एपस्टीन ने एक मेल भेजा था, जिसमे इस बात का जिक्र है कि पीएम मोदी और अमेरिकी नेता स्टीव बैनन के बीच मीटिंग करवाना चाहता है।

एपस्टीन का मानना था कि मोदी और बैनन को मिलना चाहिए क्योंकि उस समय मोदी का ध्यान चीन को रोकने पर था, और एपस्टीन ने इसे अवसर के तौर पर देखा। हालांकि, रिपोर्ट ये पुष्टि नहीं करता है कि मोदी और एपस्टीन एक दूसरे को जानते ही थे। 'द वायर' (The Wire) की रिपोर्ट में ऐसा कोई जिक्र नहीं है जो पीएम मोदी के खिलाफ जाता हो। बता दें कि 'योर न्यूज डॉट कॉम' (Your News Dot Com) वेबसाइट ने भी इस खबर को छापा है।

हरदीप सिंह पुरी

अब आते हैं हरदीप सिंह पुरी पर। 'द वायर' (The Wire) के मुताबिक एपस्टीन की कैलेंडर थी, जिसमें हरदीप सिंह पुरी का नाम कई बार लिखा मिला है। 2014 से लेकर 2017 के बीच कम से कम 5 बार उनका नाम इसमें लिखा मिला है। पुरी उस वक़्त भारत सरकार में मंत्री नहीं थे लेकिन बीजेपी ने उन्हें संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में अमेरिका भेजा था। रिपोर्ट में आगे लिखा है कि वर्तमान में केंद्रीय मंत्री का नाम एपस्टीन की कैलेंडर में तारीखों के साथ मौजूद था। हालांकि, अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है।

अनिल अंबानी

'द वायर' (The Wire) ने अपनी रिपोर्ट में मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी का नाम भी छापा है। रिपोर्ट में लिखा हुआ है कि अनिल अंबानी और जेफ्री एपस्टीन के बीच 2017 में ईमेल पर बातचीत हुई थी। इसमें अंबानी ने एपस्टीन को एक न्यूज़ आर्टिकल भेजा था, जिसमे पीएम मोदी के अमेरिका दौरे का जिक्र था। मेल के आखिर में सिर्फ “Info. BR, Anil” लिखा था। इसके जवाब में एपस्टीन ने लिखा कि “India Israel Key – not for email.”, मतलब ये कोई कोड वार्ड था। हालांकि, किसी भी सरकारी दस्तावेज ने इसकी पुष्टि अब तक नहीं की है।

भारत के विपक्षी नेता क्या कह रहे हैं?

भारत में विपक्षी नेताओं को 19 दिसंबर का बेसब्री से इन्तजार है। सब ये उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि एपस्टीन फ़ाइल (epstein files) में कुछ ऐसा निकले जिससे नरेंद्र मोदी को इस्तीफा देना पड़ जाए। ये कुछ ऐसी ही रणनीति है, जैसे आप मेहनत करके जीत नहीं पा रहे हैं, मानसिक दबाव बनाकर ही सत्ता का स्वाद चख लें।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान का इस मामले पर कहना है कि 19 दिसंबर 2025 को जैसे ही एपस्टीन फ़ाइल खुलेगी, उसके बाद भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव आएगा। कांग्रेस नेता के मुताबिक भारत को एक नया प्रधानमंत्री मिल सकता है और वो मराठी व्यक्ति हो सकता है।

वहीं, उद्धव गुट के संजय रावत ने कहा कि 19 दिसंबर को भारत की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है और नरेंद्र मोदी सत्ता में टिक नहीं पाएंगे।

विपक्षी नेता के अरमान पूरे होते हैं या नहीं, अब ये 19 दिसंबर 2025 को पता चल जाएगा।

क्या नरेंद्र मोदी को देना पड़ेगा इस्तीफा?

सीधे शब्दों में कहें तो नरेंद्र मोदी को इस्तीफा नहीं देना पड़ेगा क्योंकि 'द वायर' (The Wire) की रिपोर्ट को आधार मानें तो उसमे ऐसा कुछ नहीं लिखा है, जो उनके खिलाफ जाता हो। वहीं, हरदीप सिंह पुरी के लिए चिंता का विषय जरूर दिखता है, जिस प्रकार से जेफ्री एपस्टीन से उनकी मुलाकात का जिक्र है, अगर ये साबित होता है और कुछ ज्यादा ही संवेदनशील चीज निकलकर सामने आती है, तो उन्हें कहीं इस्तीफा ना देना पड़ जाए। साथ ही एपस्टीन से अनिल अंबानी के ताल्लुकात निकलते हैं, तो उनके लिए भी मुसीबत बढ़ सकती है। इसके लिए मोदी सरकार पर दबाव जरूर बढ़ेगा क्योंकि इस घटनाक्रम के दौरान उनकी ही सरकार थी।

जेफ्री एपस्टीन कौन था?

अब आते हैं, उस अहम सवाल पर कि जेफ्री एपस्टीन (jeffrey epstein) कौन था? कहा जाता है कि 20 जनवरी 1953 को ब्रुकलिन, न्यूयॉर्क में एपस्टीन का जन्म हुआ था और वो करियर की शुरुआत में एक शिक्षक था। 1976 में जब उसकी नौकरी गई, तब वित्तीय क्षेत्र में उतरा और बेयर स्टर्न्स में काम करने लगा। इसके बाद वो अरबपतियों का टैक्स और संपत्ति सलाहकार बन गया और खूब पैसे कमाने शुरू कर दिए।

हालांकि, उसकी इस शानों-शौकत के पीछे एक काली दुनिया भी थी। जब 2005 में उसपर एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण का आरोप लगा। जब जाँच आगे बढ़ी, तो पता चला कि उसने दर्जनों नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किया है। 2008 में कोर्ट ने उसे 18 महीने कैद की सजा सुनाई, लेकिन पैसे-पवार और अरबपतियों से कनेक्शन होने के कारण वो बार-बार जेल से बाहर आता रहा। इसने न्याय प्रणाली पर सवाल भी खड़े किये।

वहीं, जुलाई 2019 में FBI ने उसे 'चाइल्ड सेक्स ट्रैफिकिंग' के गंभीर आरोपों में फिर से गिरफ्तार किया। ट्रायल शुरू होता, उससे पहले ही 10 अगस्त 2019 को मैनहट्टन जेल में उसकी संदिग्ध तरिके से मौत हो गई। आधिकारिक तौर पर इसे आत्महत्या बताया गया लेकिन उसकी मौत से जुड़े सभी राज उसके साथ ही चले गए।

क्लिंटन-ट्रंप से भी था कनेक्शन

हैरान करने वाली बात ये है कि जेफ्री एपस्टीन (jeffrey epstein) का कनेक्शन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी था। विमान सम्बन्धित जानकारी रखने वाले फ्लाइट लॉग के अनुसार जेफ्री एपस्टीन और बिल क्लिंटन के ताल्लुकात 2002 और 2003 के बीच 26 बार निजी जेट की उड़ान से जुड़े हैं। वहीं, क्लिंटन ने सफाई देते हुए बार-बार कहा कि उन्हें एपस्टीन के अपराधों की जानकारी नहीं थी और 2005 के बाद उन्होंने उससे संबंध तोड़ दिए थे।

वहीं, ट्रंप के बारे में कहा जाता है कि उनके 1980 और 1990 के दशक में एपस्टीन से गहरी दोस्ती थी। 2002 में एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि वो एपस्टीन को लगभग 15 साल से जानते हैं, उसे खूबसूरत महिलाओं के साथ रहना पसंद है और ये पसंद उनकी भी है। बता दें कि दोनों की कई तस्वीरें भी काफी वायरल हुई हैं। हालांकि, ट्रंप ने ये साफ़ किया कि वो एपस्टीन के अपराधों से दूर थे और साल 2000 के बाद से वो कभी एपस्टीन के द्वीप पर नहीं गए।

तो ये थी पूरी कहानी जेफ्री एपस्टीन (jeffrey epstein) और एपस्टीन फाइल (epstein files) की। अब देखना होगा, 19 दिसंबर को क्या होता है?

(RH/ MK)