नरेंद्र मोदी ने किया कॉफी पर बात: बताया ओडिसा के कोरापुट की कॉफी क्यों है बेहद खास !

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरापुट कॉफी का स्वाद बहुत ही अद्भुत होता है और इतना ही नहीं वहां के कॉफी की खेती के कारण किसानो को भी बहुत लाभ हो रहा है।
एक कप में कॉफी रखा हुआ है, और उसके निचे चारो तरफ कॉफी बिखरे हुए पड़े है
भारतीय कॉफी पुरे दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है। Ai
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Summary
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरापुट कॉफी का स्वाद बहुत ही अद्भुत होता है।

  • कोरापुट ओडिसा में एक ज़िला है जिसे भारत का दूसरा कश्मीर भी कहा जाता है।

  • हमारे पुरे भारत में 70 % कॉफी का उत्पादन कर्नाटक में होता है।

कॉफी के तो हम सभी दीवाने है, आज-कल की भाग दौड़ वाली जिंदगी में शाम को जब हम घर आते है तो एक बार कॉफी जरूर पी लेते है अपनी दिन भर की थकान को मिटने के लिए। और हाल ही में 26 अक्टूबर को नरेंद्र मोदी ने अपनी "मन की बात" रेडियो कार्यक्रम में कोरापुट के कॉफी के बारे में ज़िक्र किया था।

क्या कहा नरेंद्र मोदी ने कोरापुट के कॉफी के बारे में ?

प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरापुट कॉफी का स्वाद बहुत ही अद्भुत होता है और इतना ही नहीं वहां के कॉफी की खेती के कारण किसानो को भी बहुत लाभ हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यह ओडिसा का गौरव है और भारतीय कॉफी पुरे दुनिया भर में लोकप्रिय हो रहा है। यही कारण है कि कॉफी को पसंद करने वाले "India's coffee is coffee at its finest. It is brewed in India and loved by the world" कहते हैं।

आपको बता दें कि मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पुरे कॉफी उत्पादन में कोरापुट कॉफी का हिस्सा धीरे- धीरे बढ़ रहा है और यही कारण है कि मोदी के अपने मन की बात में कोरापुट कॉफी का ख़ास तौर पर ज़िक्र किया था।

एक कप में कॉफी रखा हुआ है, और उसके निचे चारो तरफ कॉफी बिखरे हुए पड़े है
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एक महिला कॉफी को पौधे से तोड़ कर टोकरी में डालते हुए नज़र आ रही है
कोरापुट में कॉफी पुरे जैविक तरीके से उगाया जाता है। Ai

क्यों हो रही कोरापुट की कॉफी इतनी फेमस ?

कोरापुट ओडिसा में एक ज़िला है जिसे भारत का दूसरा कश्मीर भी कहा जाता है। यह ज़िला ईस्टर्न घाट की गोद में बसा है, इसलिए यहाँ का मौसम काफ़ी अच्छा रहता है। यह स्थान चारो तरफ से लहरदार पहाड़ियां, बहती नदियां, खूबसूरत झरने और गहरी घाटियों से भरा हुआ है। इस जगह की ख़ूबसूरती इसकी जमीन और मौसम में बसती है। पेड़ो की चादर से ढके जंगल यहाँ की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते है। इस इलाके की हवा में नमी रहती है और यहाँ धूप भी भरपूर मात्रा में मिलती है। और यही सारी खूबियाँ इस जगह को कॉफी की खेती के लिए परफेक्ट मना जाता है और यही वजह है कि यहाँ की कॉफी में थोड़ा अलग अंदाज़ होता है। यहीं नहीं कोरापुट में कॉफी पुरे जैविक तरीके से उगाया जाता है।

क्या है कोरापुट के कॉफी की इतिहास ?

आपको हम बता दें की कॉफी 4 तरह की होती है जिस में रोबस्टा,अरेबिका, लिबेरिका और एक्सेलसा कॉफी होते है। चलिए हम आपको लेकर चलते है इतिहास में जब कोरापुट में कॉफी को उगाना शुरू था। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1930 में कोरापुट के एक राजा जिनका नाम था राजबहादुर रामचंद्र देव ने पहली बार कॉफी को शुरू किया था। आगे चल कर करीब 1950 से 1960 के दशक में Coffee Board of India और ओडिशा की राज्य सरकार ने राजा के इस काम को एक संगठित खेती में बदल दिया। और अब हम सभी यह देख सकते है कि कोरापुट में कॉफी का उत्पाद आज कहा तक पहुंच गया है।

भारत में कौन सी ऐसी जगह है जहा कॉफी उगाया जाता है ?

आपको हम बता दें कि भारत में सिर्फ कोरापुट में ही कॉफी नहीं उगाया जाता बल्कि हमारे पुरे भारत में 70 % कॉफी का उत्पादन कर्नाटक में होता है। बाकि के अन्य राज्य जैसे तमिलनाडु और केरल में भी कॉफी को उगाया जाता है। और भारत में मुख्य रूप से 2 तरह की ही कॉफी का उत्पादन होता है, अरेबिका और रोबस्टा। कॉफी बोर्ड के अनुसार, 2024 से 2025 तक भारत में कॉफी का 3.63 लाख टन से भी ज्यादा उत्पादन हुआ था। और अनुमान है कि यह 2025 से लेकर 2026 तक बढ़कर 4.03 लाख टन पहुंच जायेगा। इसमें 1.18 लाख टन अरेबिका और 2.84 लाख टन से भी ज्यादा रोबस्टा कॉफी का उत्पादन होगा।

हमारे भारत में कॉफी का उत्पादन बढ़ रहा है और जितना हमारे देश में इसका खपत नहीं है,उससे ज्यादा यहाँ उत्पादन होता है। और शायद इसीलिए हमारे यहाँ से कॉफी का एक्सपोर्ट अच्छे मात्रा में दुनिया भर में किया जाता है।

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