इस नोट में उन्होंने एक परिवार और बेंगलुरु नगरपालिका के पूर्व बीबीएमपी, जो अब ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (जीबीए) है, के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपनी जान लेने से पहले 10 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें कुछ लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया।
पुलिस जांच के मुताबिक, वर्ष 2018 में गोविंद राजू ने बेंगलुरु (Bengaluru) के व्हाइटफील्ड इलाके में एक प्लॉट खरीदा था। यह जमीन उन्हें शशि नाम्बियार और उषा नाम्बियार नामक दंपत्ति ने अपने एक रिश्तेदार के माध्यम से दिलवाई थी। कई साल तक सब सामान्य रहा, लेकिन जब गोविंद राजू ने इस जमीन पर मकान का निर्माण शुरू किया तभी स्थिति बिगड़नी शुरू हुई।
सुसाइड नोट में गोविंद राजू (Govind Raju) ने लिखा कि जैसे ही उन्होंने निर्माण कार्य शुरू किया, शशि और उसकी पत्नी उषा उन पर नगर निगम के नियम तोड़ने का आरोप लगाकर परेशान करने लगे।
उनका दावा है कि शशि ने कुछ जीबीए/बीबीएमपी अधिकारियों को भी अपने साथ मिला लिया और लगातार उन्हें परेशान किया जाता रहा।
नोट में यह भी लिखा है कि शशि ने विवाद खत्म करने की एवज में 20 लाख रुपए की मांग की थी। इस रकम की डेडलाइन सोमवार तक थी।
सुसाइड नोट (Suicide Note) के अनुसार, सोमवार की सुबह गोविंद राजू लगभग 6 बजे घर से निकले, सीधे अपने निर्माणाधीन घर पहुंचे और वहीं फांसी लगाकर जान दे दी।
घटना के बाद गोविंद राजू की मां ने पुलिस से शिकायत की। शिकायत के आधार पर पुलिस ने शशि नाम्बियार (Shashi Nambiar) और उनकी पत्नी उषा Usha के खिलाफ मामला दर्ज कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया। दोनों को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
इस मामले में दंपत्ति का बेटा वरुण नाम्बियार (Varun Nambiar) अभी फरार है। पुलिस उसकी तलाश में छापेमारी (Raid) कर रही है। जांच टीम सुसाइड नोट, प्लॉट के दस्तावेज़, निर्माण की अनुमति और संबंधित अधिकारियों की भूमिका की बारीकी से जांच कर रही है।
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