सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक Wikimedia
राष्ट्रीय सुरक्षा

जब भारत ने तेरहवीं से पहले ही ले लिया बदला

Poornima Tyagi, न्यूज़ग्राम डेस्क

28 सितंबर 2016 की रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) और कुछ शीर्ष नेता नए भारत की पटकथा लिखी।यह वही समय था जब पूरा देश चैन की नींद सो रहा था।

प्रधानमंत्री कार्यालय में भीड़ थी, गहमागहमी का माहौल चरम सीमा पर था।हो भी क्यों न भारतीय सेना के जवान पाकिस्तान(Pakistan) की सीमा के अंदर घुसकर आतंकी कैंपों को खत्म करके अपने देश वापस आए थे। 29 सितंबर को सूरज उगने के साथ ही पूरी दुनिया ने ये जान लिया था कि नए भारत अब बदल चुका है यह नया भारत है जो न किसी के सामने झुकेगा और न ही रुकेगा।

भारत के इतिहास के पन्नों में ये ऐतिहासिक दिन सर्जिकल स्ट्राइक(Surgical Strike) डे के रूप में अंकित हो चुका है। आज हम आपको बताएंगे कि उस रात क्या हुआ था

उरी(Uri) में भारतीय सेना पर हमला

सर्जिकल स्ट्राइक का इरादा तो उसी दिन पक्का हो गया था जब 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने भारतीय सेना के शिविर पर हमला कर दिया था और घातक हमले में भारत ने अपने 18 वीर जवान खो दिए थे।इस घटना के बाद पूरा देश दुखी और आक्रोश में था और भारत के लोग पाकिस्तान से बदलना लेने के लिए बेचैन थे। तब पीएम मोदी ने आश्वासन दिया था कि हमारे देश हमारे घर में घुस कर हमला करने वाले बेखौफ नहीं जाएंगे और उन्हें माफ नहीं किया जाएगा।18 जवानों का बलिदान ऐसे ही व्यर्थ नहीं जाने देगे। हमले की प्रतिक्रिया में 28-29 सितंबर की रात आतंकवादी समूहों के खिलाफ जवाबी हमले किए गए थे।

उरी हमले के बाद उरी हमले के बाद पहली बार लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) पार करके आतंकियों के खिलाफ हमले किए गए क्योंकि भारत ने अपना बदला लेने की योजना बना ली थी। विशेष बलों के 150 कमांडोज की मदद से 28-29 सितंबर की रात भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। भारतीय सेना के जवान आधी रात को पीओके(POK) में 3 किलोमीटर अंदर घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तहस नहस कर दिया

कुछ खास हथियारों का सहारा लिया गया

कमांडोज को MI 17 हेलिकॉप्टरों की मदद से एलओसी के पास उतारा गया। यहां से 4 और 9 पैरा के 25 कमांडो ने एलओसी पार करके और पाक अधिकृत कश्मीर में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। 24 सितंबर से चल रही तैयारियों को अंजाम देने मौका सेना ने जाने नहीं दिया और अपना बदला लिया। स्पेशल कमांडोज को Tavor 21 और AK-47 असॉल्ट राइफल, रॉकेट-प्रोपेल्ड ग्रेनेड, शोल्डर-फाइबल मिसाइल, नाइट-विजन डिवाइस, उच्च विस्फोटक ग्रेनेड, हेकलर और कोच पिस्तौल और प्लास्टिक विस्फोटक से लैस किया गया था।

कमांडोज ने कोई मौका नहीं छोड़ा और बिना देरी के आतंकियों पर ग्रेनेड फेंकना शुरू कर दिया। जैसे ही अफरा तफरी मची जवानों ने तुरंत स्मोक ग्रेनेड के साथ ताबड़तोड़ गोलियां बरसाना शुरू कर दिया।इस हमले में आतंकियों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना के कुछ जवान भी मारे गए।ये ऑपरेशन रात के साढ़े 12 बजे से सुबह साढ़े 4 बजे तक चला था। पूरे अभियान पर दिल्ली में सेना मुख्यालय से नजर रखी गई थी।

(PT)

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