डॉक्टरों(Doctor) द्वारा मरीजों को दी जाने वाली दवाओं(Medicines) का नाम साफ-साफ बड़े अक्षरों में लिखना होगा। (Image: Wikimedia Commons) 
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नई गाइडलाइन जारी: अब सभी पढ़ पाएंगे डॉक्टर साहब का पर्चा,लिखनी होगी जेनरिक दवाएं

सीएमओ डॉ. आशुतोष दुबे ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए पहले से ही जेनरिक दवाएं लिखने का नियम है।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Arshit Kapoor

डॉक्टरों(Doctors) द्वारा मरीजों को दी जाने वाली दवाओं(Medicines) का नाम साफ-साफ बड़े अक्षरों में लिखना होगा। उनकी लिखावट केवल अन्य डॉक्टरों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए पढ़ना आसान होनी चाहिए। उन्हें मरीजों को जेनेरिक दवाएं ही देनी होंगी। नेशनल मेडिकल कमीशन ने इसे लेकर नया नियम बनाया है.

नियम कहता है कि ये नियम उन सभी डॉक्टरों पर लागू होंगे जो सरकार के साथ पंजीकृत हैं। ये डॉक्टर यह सीखने के लिए विशेष स्कूलों में गए हैं कि लोगों को उनके स्वास्थ्य में कैसे मदद की जाए। सरकार ने इन डॉक्टरों के लिए अपने मरीजों को देने के लिए विशेष कागजात बनाए हैं। कागजात में डॉक्टर का नाम, एक विशेष नंबर और मरीज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी होती है।

कभी-कभी डॉक्टर दवाओं के नाम कागज के एक टुकड़े पर लिखते हैं जिसे प्रिस्क्रिप्शन(Prescription) कहा जाता है। लेकिन कई बार लिखावट वास्तव में गड़बड़ होती है और पढ़ने में मुश्किल होती है। इससे लोगों के लिए फार्मेसी में सही दवा ढूंढना मुश्किल हो सकता है। लेकिन अब नए नियम आ गए हैं जिसके मुताबिक डॉक्टरों को प्रिस्क्रिप्शन पर दवाओं के नाम बड़े और साफ अक्षरों में लिखना होगा। इससे लोगों को गलती से गलत दवा लेने से बचने में मदद मिलेगी।

सरल शब्दों में कहें तो डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवाओं के नुस्खे ही देने चाहिए। ये ऐसी दवाएं हैं जिनका कोई विशेष ब्रांड नाम नहीं होता है और ये आमतौर पर ब्रांड नाम वाली दवाओं की तुलना में सस्ती होती हैं। कुछ दवाएं बीच में हैं, वे ब्रांडेड से सस्ती हैं लेकिन जेनेरिक से अधिक महंगी हैं। इन दवाओं के लिए, डॉक्टरों को पैसे बचाने के लिए  जेनेरिक संस्करण लिखना चाहिए। इस तरह की  सामान्य दवा जो आपको दवा की दुकान पर मिल सकती है वह है [दवा का नाम डालें] करके लिखना चाहिए।

स्पष्ट लिखना ठीक, ब्रांडेड पर रोक गलत

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के डॉक्टरों का मानना ​​है कि डॉक्टरों के लिए दवाओं के नाम साफ-साफ लिखना जरूरी है। हालाँकि, वे उस नियम से असहमत हैं जो कहता है कि डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवाओं के नाम ही लिखने चाहिए। आईएमए के सचिव डॉ. अमित मिश्रा(Dr. Amit Mishra) का कहना है कि केवल जेनेरिक दवाएं लिखना मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है। इसका मतलब है कि मरीजों को अपनी दवा के लिए सिर्फ मेडिकल स्टोर पर निर्भर रहना होगा। हो सकता है कि मेडिकल स्टोर उन्हें सही दवा न दे जो उनकी बीमारी को पूरी तरह से ठीक कर दे, सिर्फ इसलिए क्योंकि डॉक्टर ने दवा के लिए केवल फॉर्मूला लिखा था।

स्वास्थ्य प्रभारी डॉ. आशुतोष दुबे(Dr. Ashutosh Dubey) ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को पहले से ही जेनेरिक दवाएं लिखनी होती हैं। अब, एक नया नियम है जो कहता है कि डॉक्टरों द्वारा जो दवा लिखी जा रही है उसका सटीक फॉर्मूला भी लिखना होगा। सरकार जेनेरिक दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहती है, इसलिए वह यह सुनिश्चित कर रही है कि डॉक्टर इन नियमों का पालन करें।(AK)

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