जद (यू) Janata Dal (United) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने सोमवार को दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में चार लोगों की गलत सलाह पर महागठबंधन छोड़ दिया और एनडीए के साथ सरकार बनाई। उन्होंने आगे कहा कि तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों का कोई मतलब नहीं था, क्योंकि जांच एजेंसी द्वारा चार्जशीट दायर की गई थी लेकिन मुकदमा शुरू नहीं हुआ था।
ललन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "चार सलाहकारों में से एक संजय झा थे जो अभी भी जद (यू) में हैं और मेरे साथ बैठे हैं।"
उन्होंने कहा, "उन्होंने उस मौके पर मुख्यमंत्री को महागठबंधन छोड़कर राजग में शामिल होने की गलत सलाह दी थी।"
ललन सिंह ने कहा, "दूसरे नेता हरिवंश (हरिवंश नारायण सिंह) थे, जो वर्तमान में राज्यसभा के उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने नीतीश कुमार को महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल होने की सलाह दी। हरिवंश जेडी-यू के एकमात्र नेता थे, जो बैठक में नहीं आये। जब मैंने उनसे फोन पर संपर्क किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि नीतीश कुमार ने उन्हें सार्वजनिक जीवन में लाये और वह उनके फैसले का समर्थन करते हैं।"
ललन सिंह ने कहा, "एक अन्य सलाहकार आर.सी.पी. सिंह थे जो वर्तमान में भाजपा के एजेंट के रूप में घूम रहे हैं। वह जद-यू के साथ रह रहे थे और भाजपा के एजेंट के रूप में काम कर रहे थे। भाजपा का एक प्रभारी नियमित रूप से उनके घर जाते थे और उनसे नीतीश से मांग करने के लिए कहते थे। यदि वे उम्मीदवार विधानसभा चुनाव जीत जाते हैं, तो वे आपके आदमी होंगे। चुनाव हारने पर नीतीश कुमार कमजोर हो जाते हैं। नीतीश कुमार ने इस शख्स पर आंख मूंदकर भरोसा किया और नीतीश कुमार की पीठ में छुरा घोंप दिया। अब, वह सार्वजनिक रूप से प्रवचन कर रहे हैं। आरसीपी सिंह पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे।"
उन्होंने चौथे नेता का नाम नहीं लिया, और केवल संकेत दिया कि वे भारत के राष्ट्रपति के सलाहकार बनेंगे।
(आईएएनएस/PS)