Bhaum Pradosh Vrat 2024 : इस दिन शिव जी की पूजा पूरी विधि के साथ पूर्ण करें। इस व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। (Wikimedia Commons) 
धर्म

ज्येष्ठ माह में कब है प्रदोष व्रत ? इस व्रत से दूर होंगे मांगलिक दोष

इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान की पूजा भी करनी चाहिए, इससे संकटों का नाश होता है। यही नहीं जातक की कुंडली से भी मांगलिक दोष दूर होता है। हिंदू धर्म में प्रदोष के व्रत को सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाला माना जाता है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Bhaum Pradosh Vrat 2024 : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से जीवन का कल्याण हो जाता है। इसके साथ ही भक्तों की सभी मनोकामना पूरी होती है। इस महीने प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है, मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है। यह व्रत हमेशा महीने में दो बार, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आता है। इस बार यह व्रत 4 जून दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।

होगा सभी संकटों का नाश

इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान की पूजा भी करनी चाहिए, इससे संकटों का नाश होता है। यही नहीं जातक की कुंडली से भी मांगलिक दोष दूर होता है। हिंदू धर्म में प्रदोष के व्रत को सुख और समृद्धि को बढ़ाने वाला माना जाता है। इस व्रत को करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। ऐसे में इस दिन की जाने वाली पूजा को मुहूर्त के अनुसार ही करना चाहिए।

प्रदोष व्रत तिथि

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 04 जून को रात्रि 12 बजकर 18 पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि की समाप्ति 04 जून को रात्रि 10 बजकर 01 मिनट पर होगी। पंचांग को देखते हुए इस बार प्रदोष व्रत 4 जून को मनाया जाएगा।

इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान की पूजा भी करनी चाहिए, इससे संकटों का नाश होता है। (Wikimedia Commons)

प्रदोष व्रत के शुभ योग

प्रदोष व्रत के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। शोभन योग भोर से सुबह 06 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इसके बाद से अतिगण्ड योग लग जाएगा। इसके साथ ही सर्वार्थ सिद्धि योग रात्रि 10 बजकर 35 मिनट से अगले दिन यानी 5 जून सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।

पूजा विधि

प्रदोष व्रत वाले दिन आप जल्दी उठें और स्नान करें और साफ वस्त्र धारण कर लें। फिर शिव जी के समक्ष दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। इस दिन शिव जी की पूजा पूरी विधि के साथ पूर्ण करें। शाम के समय पूजा के दौरान दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें। भगवान शिव को भांग, धतूरा, बेलपत्र फूल और नैवेद्य शिवलिंग पर अर्पित करें। फिर व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में शिव जी की आरती करके पूजा समाप्त करें।

मोहम्मद शमी को कोर्ट से बड़ा झटका : पत्नी-बेटी को हर महीने देने होंगे 4 लाख रुपये !

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह

जहां धरती के नीचे है खजाना, वहां ऊपर क्यों है गरीबी का राज? झारखंड की अनकही कहानी

'कैप्टन कूल' सिर्फ नाम नहीं, अब बनने जा रहा है ब्रांड!