Dholkal Ganesh Temple : उलझे हुए जीवन में आस्था और भक्ति ही लोगों के लिए अपनी जिंदगी के तनाव को कम करने का सबसे आसान माध्यम बन गया है। यही एक वजह है कि भगवान में विश्वास रखने वाले लोग फुरसत मिलते ही मंदिर दर्शन के लिए निकल पड़ते हैं। भारत के मंदिरों की बात कर तो यहां एक से बढ़कर एक खूबसूरत मंदिर हैं, जिन्हें देखकर आपक दिल खुश हो जायेगा। आज हम आपको एक ऐसा मंदिर के बारे में बताएंगे जहां भगवान गणेश घने जंगल के बीच एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है।
इस मंदिर भगवान गणेश की जो प्रतिमा विराजमान है, उसमें वह अपने ऊपरी दाएं हाथ में फरसा और ऊपरी बाएं हाथ में अपना टूटा हुआ दांत पकड़े हुए हैं। वहीं निचले दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में मोदक हैं। ऐसा माना जाता है कि इस पर्वत पर भगवान परशुराम और गणपति बप्पा के बीच युद्ध हुआ था। युद्ध का कारण यह था कि भगवान परशुराम ने महादेव की तपस्या से बहुत अधिक शक्ति प्राप्त की थी।
इसके बाद जब वह महादेव को धन्यवाद देने के लिए कैलाश जा रहे थे, तो गणपति बप्पा ने उन्हें इसी पर्वत पर रोका था, जिसके बाद परशुराम के हाथ से किए गए परशु प्रहार से बप्पा का एक दांत आधा टूट गया। इसी घटना के उपरांत बप्पा की एक आधा दंत और दूसरे पूरे दांत वाली मूर्ति की पूजा होती है।
भगवान गणेश का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में ढोलकल पहाड़ी के ऊपर स्थित है, यहां गणेश जी का मंदिर समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां का रास्ता बहुत ही ज्यादा कठिन है।
बप्पा का यह मंदिर करीबन 1 हजार साल पुराना है। जहां उनकी प्रतिमा ढोलक के आकार की है। यही वजह है कि इस पहाड़ी को ढोलकल पहाड़ी और ढोलकल गणपति के नाम से भी जाना जाता है।
जिस पहाड़ की चोटी पर बप्पा का यह मंदिर स्थित है, वहां पहुंचने के लिए आपको पहले 5 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी पड़ेगी। इस यात्रा के दौरान आपको घने जंगल-बड़े-बड़े झरने, पुराने पेड़ और ऊंची चट्टानें देखने को मिलेंगी। इतना कठिन रास्ता होने के बावजूद भी यहां ढोलकल शिखर पर विराजे गणपति के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं।