Govardhan Puja:- दीपावली के 5 दिन उत्सव में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का विशेष महत्व है।[Wikimedia Commons] 
धर्म

क्या है अन्नकूट महोत्सव का विशेष महत्व?

पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में अनुकू के दिन इंद्र भगवान की पूजा करके उनको छप्पन भोग अर्पित किए जाते थे लेकिन ब्रजवासीय उन्हें श्री कृष्ण के कहने पर उसे प्रथा को बंद करके इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे और गोवर्धन रूप में भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने लगे।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Sarita Prasad

दीपावली के 5 दिन उत्सव में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव का विशेष महत्व है। श्री कृष्ण के कल के पहले गोवर्धन पूजा नहीं होती थी बल्कि उसकी जगह पर अन्नकूट महोत्सव का त्यौहार मनाया जाता था। अन्नकूट महोत्सव से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जिसमें यह बताया गया है कि अनोकुट महोत्सव को मनाने का महत्व क्या है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं और कुछ पौराणिक कथाओं के द्वारा समझते हैं, की अन्नकूट महोत्सव आखिर क्यों मनाया जाता है और इसका महत्व क्या है।

क्या है महोत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा?

एक बार इंद्र ने कुपित होकर ब्रजमंडल में मूसलाधार वर्षा कर दी। इस वर्ष से बृजवासियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र का मान मर्दन किया था। उसे पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी ग्रामीणों के साथ ही गोप गोपीकाएं उसकी छाया में सुख पूर्वक रहे। फिर ब्रह्मा जी ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिया है उनसे बैर लेना उचित नहीं। यह जानकर इंद्रदेव ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा याचना की भगवान श्री कृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अनुकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी।

कृष्ण ने 7 दिनों तक गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर इंद्र का मान मर्दन किया था।[Wikimedia Commons]

तभी से उत्सव अनुकूल के नाम से मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में अनुकू के दिन इंद्र भगवान की पूजा करके उनको छप्पन भोग अर्पित किए जाते थे लेकिन ब्रजवासीय उन्हें श्री कृष्ण के कहने पर उसे प्रथा को बंद करके इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे और गोवर्धन रूप में भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग लगाने लगे।

अन्नकूट महोत्सव का महत्त्व

अनुकूल पर्व मनाने से मनुष्य को लंबी आयु तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है साथ ही दरिद्र का नाश होकर मनुष्य जीवन पर्यंत सुखी और समृद्धि रहता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वर्ष भर दुखी ही रहेगा और यदि वह खुश होगा तो वर्ष भर खुश रहेगा। इसलिए हर मनुष्य को इस दिन प्रसन्न रहकर भगवान श्री कृष्ण के प्रिया अनुकूल उत्सव को भक्तिपूर्वक तथा आनंदपूर्वक मनाना चाहिए।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन कोई मनुष्य दुखी रहता है तो वर्ष भर दुखी ही रहेगा और यदि वह खुश होगा तो वर्ष भर खुश रहेगा।[Wikimedia Commons]

इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान श्री कृष्ण के समझ गए तथा ग्वाल बालों की रोली चावल फुल जल मौली दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा करनी चाहिए। इस दिन गाय बैल आदि पशुओं को स्नान कर कर धूप चंदन तथा फूल माला पहनकर उनका पूजन किया जाता है और गौ माता को मिठाई खिलाकर उसकी आरती उतारते हैं तथा पदक्षिणा भी करते हैं।

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