Jyeshtha Amavasya 2024: सनातन धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या बेहद खास मानी जाती है, क्योंकि इस दिन शनि जयंती के साथ वट सावित्री का पर्व भी मनाया जाता है। इन खास तिथियों के एक साथ पड़ने पर इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। इस बार यह 6 जून को मनाई जाएगी। ऐसा कहा जाता है इस पुण्यदायी दिन पर गंगा स्नान जरूर करना चाहिए तथा इस दिन स्नान के बाद पितरों की पूजा करने और उनके लिए दान करने का विधान है। आइए जानते हैं ज्येष्ठ अमावस्या पर नाराज पितरों को नहीं मनाए तो क्या होगा?
अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं और वे अपने वंश से यह उम्मीद करते हैं कि वे उनको तृप्त करें यानी प्रसन्न करें। यदि ऐसा नहीं होता है तो वे दुखी और नाराज होते हैं। इससे पितृ दोष लगता है। पितरों के नाराज होने से जीवन में कई प्रकार की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इस साल ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 5 जून को संध्या काल 07:54 बजे से 6 जून को संध्या काल 06:07 बजे तक है।
पितरों के नाराज होने के कारण घर में हमेशा कलह-क्लेश रहता है। परिवार में अशांति का माहौल होता है। रिश्तेदार एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं। इसके साथ ही घर-परिवार की उन्नति में बाधा आती है। अच्छे खासे बनते हुए काम भी बिगड़ने लग जाते हैं या कई प्रकार के शारीरिक कष्ट भोगने पड़ सकते हैं। कुल मिलाकर पितृ दोष के कारण बहुत तरह की परेशानियां भी झेलना पड़ सकता है।
ज्येष्ठ अमावस्या पर नाराज पितरों को मनाने के लिए सबसे अच्छा उपाय है कि आप सुबह में स्नान करने के बाद सफेद वस्त्र पहनें। फिर जल से पितरों को तर्पण दें। तर्पण में जल, काला तिल, सफेद फूल और कुशा का उपयोग करना चाहिए। कहा जाता है कि पितृ लोक में जल की कमी होती है। जब जल से तर्पण देते हैं तो पितर तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने के लिए आप पिंडदान, श्राद्ध, पंचबलि कर्म आदि कर सकते हैं।