शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद (Swaroopanand) द्वारा घोषित उत्तराधिकारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) महाराज ने भारत-पाकिस्तान (India-Pakistan) विभाजन को रद्द करने की पैरवी करते हुए कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान के विभाजन को स्वीकार किया गया है तो फिर भारत के मुसलमानों (Muslim) को पाकिस्तान चले जाना चाहिए, क्योंकि भारत और पाकिस्तान का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ था। अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए विभाजन को रद्द करने के पक्ष में अपना तर्क रखते हुए कहा, अखंड भारत के लोगों के मन में सदा से यह पीड़ा रही है। रामराज्य परिषद, करपात्री महाराज और हमारे गुरु जी के मन में हमेशा से यह पीड़ा थी कि भारत के दो टुकड़े हो गए। हम अपने तीर्थ के दर्शन के लिए बिना वीजा के नहीं जा सकते और वह वीजा बड़ी मुश्किल से मिलता है।
उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान और बांगलादेश (Bangladesh) में हमारे शक्तिपीठ हैं जो विभाजन के बाद वहां चले गए। यह विभाजन इसलिए हुआ था कि हिंदू (Hindu) यहां रह जाएंगे और मुसलमान वहां चले जाएंगे, मगर ऐसा तो हुआ नहीं। जिस मकसद के लिए विभाजन हुआ, वह पूरा नहीं हुआ। आजादी के 75 साल हो गए हैं और हम यह व्यवस्था नहीं बना पाए कि हिंदू यहां रह जाएं और मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं। और दोनों मिलकर रहें।
भारत और पाकिस्तान के लेागों को लेकर उन्होंने कहा, हमसे ही अलग हुआ देश हमारा ही सबसे बड़ा शत्रु क्यों बन गया? आज जब दुश्मन की बात आती है तो सरकार चाहे जो वक्तव्य दे, लेकिन जब पाकिस्तान के लोगों का वीडियो सामने आता है तो उनकी भारत के खिलाफ भावना दिखती है और भारत के लेागों की इसी तरह की भावना दिखती हैं। जब क्रिकेट का मैच होता है तो भारत के जीतने पर पाकिस्तान के लोग परेशान हो जाते हैं और पाकिस्तान के जीतने पर भारत के लेाग परेशान हो जाते हैं। हमारा भाई जो हमसे अलग हुआ, समझौता करके अलग हुआ, वह दुश्मन कैसे बन गया। ऐसा इसलिए क्योंकि यह मामला राजनीतिक हो गया।
आईएएनएस/PT