Stories of 51 Shaktipeeeth: पढ़ें किरीट शक्तिपीठ के बारे में
Stories of 51 Shaktipeeeth: पढ़ें किरीट शक्तिपीठ के बारे में  Wikimedia Commons
धर्म

Stories of 51 Shaktipeeeth: पढ़ें किरीट शक्तिपीठ के बारे में

Prashant Singh

Stories of 51 Shaktipeeeth: हम पढ़ रहे हैं 51 शक्तिपीठों के महात्म्य के बारे में। इसी क्रम में हम आज पढ़ेंगे प्रथम शक्तिपीठ- किरीट शक्तिपीठ के बारे में। किरीट का अर्थ होता है शिरोभूषण अथवा मुकुट। इस स्थान पर माँ का मुकुट गिरा था, जिसके कारण यह उदित होने वाली शक्ति का नाम किरीट पड़ा।

51 शक्तिपीठों में से विशेष स्थान रखने वाला यह प्रथम शक्तिपीठ पश्चिम बंगाल के हावड़ा स्टेशन से 2.5 किलोमीटर आगे लालबाग़ कोट स्टेशन से 5 किलोमीटर दूर बड़नगर में स्थित है। यह पावन शक्तिपीठ हुगली (गंगा) नदी के तट पर स्थित है। यह स्थल मुर्शिदाबाद जिले में आता है। ऐसे में मुर्शिदाबाद में रह रहे वंशों की किरीटेश्वरी देवी कुलदेवी भी हैं। कई विद्वान इस स्थान को महामाया देवी का शयन स्थल भी मानते हैं।

यहाँ की शक्ति 'विमला' अथवा 'भुवनेश्वरी' हैं तथा भैरव हैं 'संवर्त'।

इस स्थान को मुक्तेश्वरी धाम के नाम से भी जाना जाता है। अभी का वर्तमान मंदिर 1000 वर्ष प्राचीन बताया जाता है। यह उन चंद मंदिरों में से एक है जहां माता का कोई विग्रह न होकर उनका एक काले पत्थर के रूप में पूजा अर्चना किया जाता है।

इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर को 1405 ई. में आक्रान्ताओं द्वारा नष्ट कर दिया गया था। बंगाल के प्राचीन साहित्यों में इस मंदिर का विवरण मिलता है। 19वीं शताब्दी में राजा दत्त नारायण द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया गया था। मंदिर के देखभाल का कार्य राजा योगेंद्र नारायण द्वारा किया गया था। यहाँ मंदिर परिसर में कोई अन्य विग्रह नहीं है, बस वही काली शिला है जो माता के मुकुट का प्रतिनिधित्व करती है। माँ के इस शिला को एक कपड़े से ढँक कर रखा जाता है जिसे वर्ष में एक बार बदला जाता है। वैसे तो नवरात्रों में यहाँ भीड़ होती ही है पर दिसम्बर और जनवरी महीने में मंगलवार और शनिवार को यहाँ का विशेष किरीटेश्वरी मेले का आयोजन भी किया जाता है।

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