नवरात्रि का समय आते ही देशभर के लोग व्रत रखते हैं, उसके बाद नवरात्रि दौरान सात्विक भोजन का पालन किया जाता है और खाने की चीज़ों में खासतौर पर कुट्टू (Buckwheat) का आटा या सिंघाड़े का आटा और साबूदाना (Sago) सबसे ज़्यादा इस्तेमाल इस व्रत (Fasting) में किया जाता है। इसके बाद अगर बात करें सेहत की तो अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि इन तीनों में से कौन सा विकल्प सेहत के लिए सबसे अच्छा होता है। धार्मिक मान्यता के साथ-साथ सेहत का पहलू भी आजकल लोग ध्यान में रखते हैं। यही कारण है कि व्रत में खाए जाने वाले इन अनाजों और आटों पर चर्चा एक बार ज़रूरी हो जाती है।
कुट्टू (Buckwheat) का आटा व्रत का सबसे लोकप्रिय विकल्प होता है। कुट्टू के आटे को अंग्रेज़ी में बकवीट कहा जाता है और यह असल में फल के बीज से प्राप्त होता है। इसे अनाज नहीं बल्कि फल की श्रेणी में रखा जाता है, इसलिए धार्मिक दृष्टि से यह उपवास में मान्य है। कुट्टू पूरी तरह ग्लूटेन-फ्री होता है और इसमें प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, आयरन और विटामिन बी कॉम्प्लेक्स जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह शरीर को ऊर्जा तो देता ही है, साथ ही ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने और पाचन तंत्र को दुरुस्त करने में भी मदद करता है।
व्रत के दौरान जब शरीर को एक्स्ट्रा एनर्जी की ज़रूरत होती है, तब कुट्टू का आटा लंबे समय तक पेट भरा रखता है और थकान से बचाता है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए खासकर सर्दियों के मौसम में यह बहुत फायदेमंद माना जाता है। हालांकि कुट्टू के आटे की एक कमी यह है कि अगर इसे ज़्यादा तेल में तलकर खाया जाए तो पचाने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है। इस पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुट्टू के आटे से पराठा या हल्के स्नैक्स बनाए जा सकते हैं जिसको हम कम तेल में पकाकर खा सकते हैं।
वहीं सिंघाड़े (Water Chestnut) का आटा भी उपवास का अहम हिस्सा है जिसको लोग व्रत में खाना बहुत पसंद करते हैं। इसे वॉटर चेस्टनट भी कहा जाता है। यह पानी के भीतर उगने वाला फल है, जिससे बना आटा हल्का, मीठे स्वाद वाला और बेहद पौष्टिक होता है। इसकी तासीर ठंडी मानी जाती है, इसलिए यह गर्मी के मौसम में व्रत रखने वालों के लिए खासतौर पर लाभकारी होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, पोटैशियम, विटामिन बी और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
सिंघाड़ा (Water Chestnut) शरीर को ताजगी और तुरंत ऊर्जा देता है। यही कारण है कि इसे व्रत में पूरी, हलवे और खिचड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह पचने में आसान होने की वजह से यह उन लोगों के लिए सही विकल्प माना जाता है, जिन्हें पेट की समस्या जल्दी हो जाती है। न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिंघाड़े का आटा उन लोगों के लिए बेहतर है, जिन्हें हल्का भोजन चाहिए और जिनका पाचन तंत्र थोड़ा कमजोर होता है।
साबूदाना (Sago) को भी लोग व्रत में खूब पसंद करते हैं। इसे कैसावा की जड़ों से तैयार किया जाता है और यह कार्बोहाइड्रेट का बड़ा स्रोत है। साबूदाना पेट को तुरंत एनर्जी देता है और लंबे समय तक एक्टिव रहने में मदद करता है। हालांकि इसमें प्रोटीन और मिनरल्स की मात्रा कुट्टू या सिंघाड़े की तुलना में कम होती है। इस वजह से इसे अकेले खाने की बजाय दही, मूंगफली या आलू के साथ मिलाकर खाया जाता है, ताकि शरीर को संतुलित पोषण मिल सके। साबूदाना खिचड़ी, वड़ा या खीर के रूप में खाना व्रत का आम हिस्सा है और यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सबको पसंद आता है।
अगर वजन घटाने की बात करें तो कुट्टू का आटा सबसे कारगर माना जाता है। इसमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन का संतुलन होता है, जो भूख को लंबे समय तक कंट्रोल करता है और शरीर को ज़रूरी पोषण भी देता है। वहीं सिंघाड़े का आटा भी वजन घटाने में मददगार है, क्योंकि इसमें ढेर सारा फाइबर होता है, जो की धीरे-धीरे पचता है और पेट को देर तक भरा रखता है। इसमें सोडियम की मात्रा कम और पोटैशियम की मात्रा ज़्यादा होता है, जो शरीर में वॉटर रिटेंशन को कम करता है और सूजन जैसी समस्या से राहत देता है।
हालांकि इन दोनों आटों को इस्तेमाल करने में कुछ सावधानियां भी बरतनी ज़रूरी हैं। कुट्टू का आटा जल्दी खराब हो जाता है, इसलिए इसे नमी से बचाकर रखना चाहिए और एक महीने से ज़्यादा पुराना आटा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योकि कई बार आटा खराब होने से लोग बीमार भी पड़ जाते हैं। सिंघाड़े के आटे के मामले में यह दिक्कत कम होती है, लेकिन इसे भी फ्राई करने की बजाय हल्के तरीके से पकाकर खाना चाहिए।
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डॉक्टर्स और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स की राय में कुट्टू और सिंघाड़े का आटा दोनों ही अच्छे विकल्प हैं। दोनों ग्लूटेन-फ्री हैं और सेहत को फायदा पहुंचाते हैं। बस इनमें फर्क सिर्फ इतना है कि कुट्टू प्रोटीन और मैग्नीशियम से भरपूर है और थोड़ी गर्म तासीर का होता है, जबकि सिंघाड़ा (Water Chestnut) हल्का, मीठा और ठंडी तासीर वाला है। इसलिए किसे चुनना है, यह आपके शरीर की ज़रूरत और मौसम पर निर्भर करता है। अगर किसी को ज़्यादा प्रोटीन और एनर्जी चाहिए तो कुट्टू सही विकल्प है, जबकि जिनको हल्का और पचने वाला खाना चाहिए, उनके लिए सिंघाड़ा बेहतर है। साबूदाना उन लोगों के लिए अच्छा है जो सिर्फ ऊर्जा चाहते हैं, लेकिन पोषण का संतुलन बनाए रखने के लिए इसे अकेले न खाकर दूसरी खाने की चीज़ों के साथ खाना सही होता है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि नवरात्रि के व्रत में कुट्टू (Buckwheat) और सिंघाड़े (Water Chestnut) का आटा दोनों ही हेल्दी विकल्प हैं। दोनों के अपने फायदे और स्वाद हैं। अगर आप व्रत (Fasting) में हेल्थ और एनर्जी दोनों का ध्यान रखना चाहते हैं तो इनका संतुलित इस्तेमाल करें। कभी कुट्टू की पूरी खा सकते हैं, तो कभी सिंघाड़े का हलवा और कभी साबूदाने (Sago) की खिचड़ी खा सकते हैं। इस तरह व्रत का खाना न सिर्फ स्वादिष्ट होगा, बल्कि शरीर को ज़रूरी पोषण भी देगा। नवरात्रि के उपवास का असली मकसद शरीर और मन को शुद्ध करना है, और सही आटे का चुनाव इसमें अहम भूमिका निभाता है। [Rh/PS]