Tripura Sundari Shaktipeeth Banswara : सालों से इस चमत्‍कारिक मंदिर में तंत्र-मंत्र की पूजाएं होती आ रही हैं। इन्हीं कारणों से इस मंद‍िर को राजयोग देने वाला मंदिर भी कहा जाता हैं। (Wikimedia Commons)
Tripura Sundari Shaktipeeth Banswara : सालों से इस चमत्‍कारिक मंदिर में तंत्र-मंत्र की पूजाएं होती आ रही हैं। इन्हीं कारणों से इस मंद‍िर को राजयोग देने वाला मंदिर भी कहा जाता हैं। (Wikimedia Commons) 
धर्म

माता के इस मंदिर में मिलता है राजयोग का आशीर्वाद, दिन में तीन बार बदलता है माता का रूप

न्यूज़ग्राम डेस्क

Tripura Sundari Shaktipeeth Banswara : चैत्र नवरात्र में माता के 9 रूपों की पूजा की जाती है। आज हम आपको मां के 51 शक्तिपीठों में से एक बांसवाड़ा का दिव्य त्र‍िपुर सुंदरी मंदिर के बारे में बताएंगे। नवरात्र के द‍िनों में देश भर के तांत्रिक पूजा करने यहां आते हैं। यहां तांत्र‍िक अपनी स‍िद्ध‍ि पूरी करने के ल‍िए माता की पूजा करते हैं। सालों से इस चमत्‍कारिक मंदिर में तंत्र-मंत्र की पूजाएं होती आ रही हैं। इन्हीं कारणों से इस मंद‍िर को राजयोग देने वाला मंदिर भी कहा जाता हैं। आपको बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अम‍ित, अटल ब‍िहारी वाजपेयी जैसे कई राजनेता भी राजयोग द‍िलाने वाली माता के मंद‍िर के दर्शन करने आ चुके हैं।

क्या है इस मंदिर का इतिहास

राजस्‍थान के बांसवाड़ा के उमराई गांव में त्र‍िपुर सुंदरी का ये मंदिर तंत्र-मंत्र की पूजा के ल‍िए जाना जाता है। स्‍थानिय लोग इस मंदिर को तुरताई माता मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इस मंदिर की यह मान्‍यता है कि यहां जो भी मां से मांगता है, उसकी इच्‍छा तुरंत ही पूरी हो जाती है। एक बार एक मुस्‍ल‍िम आक्रांता महमूद गजनवी ने इस मंदिर को भी तोड़ा था लेकिन मंदिर से लोगों ने मां की प्रतिमा को पहले ही बाहर निकाल ल‍िया था। इस मुख्य मंदिर के दरवाजे चांदी के बने हैं और यहां मां त्र‍िपुरा सुंदरी की प्रतिमा उग्र भाव में है।

इस मंदिर में हर द‍िन मां का 3 बार रूप बदला जाता है और हफ्ते के सातों द‍िन माता को तीन रूपों में सजाया जाता है। (Wikimedia Commons)

तीन बार बदलता है माता का रूप

मां भगवती त्रिपुरा सुंदरी की मूर्ति अष्टदश यानी अठारह भुजाओं वाली है। मूर्ति में माता दुर्गा के 9 रूपों की प्रतिकृतियां अंकित हैं। इस मंदिर में हर द‍िन मां का 3 बार रूप बदला जाता है और हफ्ते के सातों द‍िन माता को तीन रूपों में सजाया जाता है। सुबह मां कुमार‍िका, दोपहर में यौवना और संध्‍या काल में प्रौढ़ रूप में नजर आती हैं।

यहां गिरा था माता सती का मस्‍तिष्‍क

ज्‍योत‍िषाचार्य मृगेंद्र चौधरी बताते हैं कि जब भगवान श‍िव मां सति के शव को लेकर ब्रह्मांड में घूम रहे थे, तब भगवान व‍िष्‍णु ने भगवान श‍िव का मोह भंग करने के लि‍ए अपने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर का व‍िच्‍छेदन क‍िया था। तब मां सति का मस्‍तिष्‍क इसी जगह ग‍िरा था। असम के कामाख्‍या और कोलकाता के दक्षिण काली मंदिर की तरह ही इस मंदिर में भी तंत्र पूजा की जाती है। इसके अलावा यहां सामान्‍य लोग संतान प्राप्‍त‍ि और पार‍िवारिक सुख की प्राप्‍ति के लि‍ए मां के दर्शन करने आते हैं।

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