Vaishakh Masik Krishna Janmashtami 2024: इस दिन बाल गोपाल की पूजा करने से लोगों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। (Wikimedia Commons) 
धर्म

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी पर बाल गोपाल का आशीर्वाद पाने के लिए इस प्रकार करें पूजा

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, इसीलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भक्त मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं और इस दिन व्रत रखकर भगवान की विशेष उपासना करते हैं

न्यूज़ग्राम डेस्क

Vaishakh Masik Krishna Janmashtami 2024: यदि आपके घर पर लड्डू गोपाल जी हैं, तो आप मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व पर लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए शुभ मुहूर्त में आराधना जरूर करें। शुभ मुहूर्त में पूजा करने से भक्तों पर भगवान कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमारे जीवन से कष्ट भी धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था, इसीलिए हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भक्त मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं और इस दिन व्रत रखकर भगवान की विशेष उपासना करते हैं, तो आइए जानते हैं इस माह के मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ तिथि तथा मुहूर्त के बारे में।

पुराणों के अनुसार, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से लोगों के सभी पापों का नाश होता है और सभी की मन की मन्नत पूरी होती हैं। इस दिन बाल गोपाल की पूजा करने से लोगों को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत से श्रद्धालुओं को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।

इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने का विधान है (Wikimedia Commons)

क्या है शुभ मुहूर्त

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी की अष्टमी तिथि 01 मई 2024 दिन बुधवार को सुबह 05 बजकर 45 मिनट से शुरू होगी और 02 मई 2024 दिन गुरुवार को सुबह 04 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 05.40 से लेकर 08.59 तक रहेगा।

कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर निवृत्त होकर स्नान ध्यान के बाद सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। फिर अपने घर में मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान की प्रतिमा के सामने धूप बत्ती और घी का दीया जलाएं। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने का विधान है लड्डू गोपाल को भोग में उनका प्रिय भोजन माखन, मिश्री और मेवा दें और इसके बाद आरती करके लोगों को प्रसाद वितरित करें।

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