न्यूज़ग्राम हिंदी: असम में बाल विवाह के खिलाफ हिमंता बिस्वा सरमा(Hemant Biswa Sarma) सरकार कड़ा रुख अपना रही है। बाल विवाह को लेकर यहां बवाल मचा हुआ है। वहीं इससे जुड़े मामलों में पुलिस का एक्शन भी जारी है। इसको लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो(Priyank Kanoongo) ने असम सरकार के कदम को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक पार्टियां बयानबाजी कर बाल विवाह के नाम पर साम्प्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रही हैं।
आईएएनएस से बातचीत करते हुए एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि असम सरकार की ये पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि हम अन्य राज्यों से भी इसी तरह के कदम उठाने की उम्मीद करते हैं।
उन्होंने कहा कि जो एक स्थानीय पार्टी राज्य द्वारा कानून नहीं बनाने के बारे में बात कर रही है, वो मूर्खतापूर्ण बात है और ऐसे लोगों को राजनीति में रहने की जरूरत नहीं है। बाल विवाह रोकथाम अधिनियम और पोक्सो जैसे केंद्रीय कानून सभी जगह लागू होते हैं और उसी अनुरूप कार्यवाही की जा रही है।
असम में बाल विवाह के खिलाफ सरकार कड़ा रुख अपना रही है। (सांकेतिक /Wikimedia Commons)
प्रियंक कानूनगो ने ओवैसी को भी नसीहत देते हुए कहा कि बच्चों के मामले में नेताओं और राजनीतिक दलों को संवेदनशील होना चाहिए। नाबालिग बच्चियों का शोषण नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनसीपीसीआर और सरकार के पास बच्चों के पुनर्वास को लेकर रोडमैप है। मुझे समझ नहीं आता कि लोग कितने बेहूदे राजनीतिक बयान देते हैं।
गौरतलब है कि असम में बाल विवाह के आरोप में अब तक 2 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने बताया कि अब तक पूरे प्रदेश में बाल विवाह से संबंधित 4,074 केस दर्ज किए गए, जबकि 8,134 लोगों की पहचान की गई है। उन्होंने ये भी कहा कि बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी और लगभग 3,500 लोगों को गिरफ्तार करना होगा।
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