शादी का वो रस्म जिस में आखरी बार दुल्हन अपने मइके का खाना खाती है कुँवारी रूप में  Ai
बिहार

बिहार की अनोखी रस्म: जब लड़की आखरी बार अपने मइके में कुँवारी रूप में खाना खाती है

आज हम आपको बताते है बिहार (Bihar) के शादी (Marriage) का वो रस्म जिस में आखरी बार दुल्हन अपने मइके का खाना खाती है कुँवारी रूप में उस रस्म को कहते है, कोहरात का भात या इसे कुरपत का भात।

Shivani Singh

आज हम आपको बताते है, बिहार (Bihar) के शादी का वो रस्म जिस में आखरी बार दुल्हन अपने मइके का खाना खाती है कुँवारी के रूप में उस रस्म को कहते है, कोहरात का भात या इसे कुरपत का भात। ये रस्म होता है शादी वाले दिन।

तो इस रस्म (Ritual) में होता क्या है कि आँगन में मिट्टी के चूल्हे पर मिट्टी के बर्तन को रखकर लड़की के मामा के यहाँ से लाए चावल को बनाया जाता है, और उसको बनाने के बाद उस भात में दही मिलाया जाता है।

आपको ये थोड़ा सोच कर हैरानी हो रही होगी कि आखिर भात में दही ही क्यों मिलाया जाता है? हम आपको बता दें कि दही एक शुभ संकेतो का प्रतीक है, यह नए अच्छे आगमन का संकेत देता है, इसलिए अक्सर ये आप आपने घर में देखते होंगे कि जब भी आप कभी अच्छे, बड़े काम के लिए घर से बाहर जाते है तो मम्मी आपको एक चम्मच दही और चीनी (Curd and Sugar) जरूर आपके मुँह में खिला दिया करती है।

अब आपका एक और सवाल मन में आ रहा होगा कि आखिर मामा के घर से ही आए चावल का इस रस्म में इस्तेमाल क्यों होता है ? जी ऐसा इसलिए होता है, क्योकि लड़की के घर की पहली लक्ष्मी (Lakshmi) उसकी माँ होती है, और माँ के मइके को मंदिर माना जाता है, और मंदिर से आया चावल प्रसाद होता है,

तो उस मंदिर से आया हुआ चावल के रूप में प्रसाद, लड़की को खिलाया जाता है जो की उसका ये खाना कुवारी रूप में उसके मइके में आखरी होता है।

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