बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं। (AI)
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जंगलराज का काला सच : आईएएस अधिकारी की पत्नी ने खोला दो साल तक चले अत्याचार का राज़

बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) में हलचल मचाने वाला यह मामला सत्ता, अपराध और महिलाओं की असुरक्षा की कड़वी हकीकत को सामने लाता है। आईएएस अधिकारी की पत्नी के आरोपों (Allegations) ने न केवल 'जंगलराज' (Jungle Raj) की याद दिलाई, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि क्या सत्ता के साये में सच दबा रह जाता है ?

न्यूज़ग्राम डेस्क

बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) वैसे तो हमेशा ही बयानों और आरोपों से गर्म रहती है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें और भी तीखापन आ गया है। बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक-दूसरे पर लगातार आरोप (Allegations) लगाए जा रहे हैं। इसी बीच, बीजेपी विधायक पवन जायसवाल ने एक ऐसा दावा कर दिया, जिसने पूरे बिहार में हलचल मचा दी। उन्होंने कहा कि लालू यादव के राज में ज्यादातर महिलाओं के साथ अत्याचार और अपराध ही हुए हैं, और उन्हीं के कार्यकाल में एक आईएएस अधिकारी की पत्नी के साथ दो साल तक लगातार बलात्कार होता रहा है।

इस पर पवन जायसवाल ने कहा कि यह मामला कोई साधारण घटना नहीं थी, बल्कि यह 'जंगलराज' (Jungle Raj) के दौर की काली सच्चाई को सामने लेकर आता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि लालू यादव के राज में महिलाएँ सुरक्षित नहीं थीं और अब उन्हीं के बेटे तेजस्वी यादव "माई-बहिन योजना" जैसी योजनाएँ ला रहे हैं।

यह घटना पटना की है, और 1995 से 1997 के बीच यह घटना हुआ था, उस समय बिहार की राजनीति (Politics) पर लालू यादव का दबदबा था। उसी समय एक आईएएस अधिकारी की पत्नी, भतीजी और नौकरानियों के साथ लगातार दो साल तक दुष्कर्म हुआ। इस घटना ने उस समय पूरे बिहार को हिला दिया था। आईएएस अधिकारी की पत्नी का नाम चंपा बिस्वास था, उन्होंने कई साल बाद हिम्मत जुटाकर राज्यपाल को पत्र लिखा और पूरे मामले की जाँच की माँग की।

चंपा बिस्वास, जो आईएएस अधिकारी बी.बी. बिस्वास की पत्नी हैं, उन्होंने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि लालू यादव के करीबी सहयोगी मृत्युंजय यादव ने उन्हें लगातार यौन शोषण का शिकार बनाया है। उन्होंने यह भी कहा कि यह अपराध केवल उनके साथ नहीं हुआ, बल्कि उनकी भतीजी और दो नौकरानियों के साथ भी बलात्कार किया गया।

उनका आरोप (Allegations) था कि सरकारी नौकरी का लालच देकर और राजनीतिक दबदबे का इस्तेमाल करके उन्हें धमकाया जाता था। चंपा ने तो यह भी बताया कि उन्हें एक बार गर्भपात कराना पड़ा और फिर मजबूरी में उन्होंने नसबंदी भी करानी पड़ी, ताकि वो दोबारा गर्भवती न हो सकें।उसके बाद चंपा ने राज्यपाल को लिखे अपने पत्र में यह भी कहा कि उनकी भतीजी कल्याणी और दोनों नौकरानियाँ अचानक गायब हो गईं। उन्हें संदेह है कि या तो उनकी हत्या कर दी गई होगी या उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया होगा। यह आरोप कहानी को और भी भयावह और पेचीदा बना देता है।

चंपा की शिकायत मिलने के बाद राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी ने मामले को गंभीरता से लिया और केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी। राज्य के डीजीपी को भी जाँच के लिए निर्देश दिए। यही वजह थी कि यह मामला अख़बारों और मीडिया की सुर्खियों में आया। फिर इसके बाद जब यह मामला सामने आया, तब विपक्ष ने इसे हाथों-हाथ लिया। भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि इस घटना ने साबित कर दिया है कि "सम्मानित और प्रभावशाली परिवारों की महिलाएँ भी RJD के कार्यकर्ताओं के सामने लाचार थीं।" उनका आरोप था कि लालू यादव के करीबी लोग जानते थे कि वो सत्ता के दम पर किसी से भी कुछ भी करवा सकते हैं।

इस आरोप (Allegations) को झेल रहे मृत्युंजय यादव ने इस पूरे मामले को एक राजनीतिक साज़िश बताया। उनका कहना था कि यह सब उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने की चाल है। उनकी माँ हेमलता यादव उस समय राजद की एक प्रभावशाली महिला नेता थीं। मृत्युंजय ने कहा कि यह आरोप केवल इसलिए गढ़ा गया ताकि आईएएस अधिकारी बिस्वास की नौकरी से अनुपस्थिति को सही ठहराया जा सके।

चंपा की शिकायत मिलने के बाद राज्यपाल सुंदर सिंह भंडारी ने मामले को गंभीरता से लिया और केंद्रीय गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी।

मृत्युंजय यादव पर यह पहला आरोप नहीं था। इससे पहले भी उन पर एक राज्य नेता की बेटी से छेड़छाड़ का आरोप लग चुका था। हालांकि उस समय यह मामला दबा दिया गया क्योंकि वह लालू यादव की जीवनी लिखने वाले व्यक्ति थे और उनका राजनीतिक पहुँच बहुत ज़्यादा था।

पुलिस के सूत्रों का मानना था कि यह मामला इतना सीधा नहीं है। कुछ अधिकारियों ने संदेह जताया कि हो सकता है चंपा और मृत्युंजय के बीच पहले आपसी संबंध रहे हों, लेकिन बाद में विवाद और दबाव दोनों की स्थिति बनी। चंपा के गर्भपात और नसबंदी जैसे पहलुओं को देखकर भी पुलिस को शक हुआ कि यह रिश्ता शुरू में सहमति से रहा होगा, और फिर बाद में यह रिश्ता जबरदस्ती और हिंसा में बदल गया होगा।

सबसे हैरानी वाली बात यह थी कि खुद एक आईएएस अधिकारी होते हुए भी बी.बी. बिस्वास अपनी पत्नी और परिवार को बचाने में असहाय साबित हुए। चंपा ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने अपने पति को पूरी सच्चाई बताई, तब वह भी डरे हुए थे और अपनी जान का खतरा महसूस कर रहे थे। यही वजह थी कि परिवार ने पटना छोड़कर दिल्ली शरण लेने का निर्णय लिया।

इस घटना के पीछे एक और कहानी भी थी। आईएएस अधिकारी बिस्वास पर विभागीय जाँच चल रही थी। उन पर लगभग 250 भर्तियों में गड़बड़ी करने का आरोप था। कई अफसरों का मानना था कि चंपा की शिकायत इसलिए दर्ज कराई गई ताकि बिस्वास पर लगे भ्रष्टाचार के मामलों से ध्यान हट सके।

यह मामला इसलिए और भी उलझा हुआ है क्योंकि इसमें कई मतभेद देखने को मिल रहें हैं। पहले तो यह की अगर दो साल तक इतना बड़ा अपराध हो रहा था, तो चंपा इतनी देर तक चुप क्यों रहीं ? जब उनके परिवार के और भी अन्य सदस्य के साथ भी अपराध हो रहा था तो कोई भी क्यों नहीं बोले ? और आखिरकार, जब खुद पति आईएएस अधिकारी थे, तो उन्होंने अपनी हैसियत का इस्तेमाल करके तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की? यह सभी सवाल इस घटना को उलझता है।

इस पूरे मामले से विपक्ष ने लालू यादव और उनकी पार्टी पर हमला बोलने का मौका ढूँढ लिया था। लेकिन वहीं, राजद नेताओं ने इसे साज़िश बताकर इस आरोप (Allegations) को खारिज कर दिया। पार्टी के मुख्य सचेतक मोहम्मद नेमतुल्लाह ने कहा कि वो मृत्युंजय के परिवार को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और उन्हें पूरा यक़ीन है कि यह आरोप झूठा है।

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यह मामला बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) का एक ऐसा चेहरा दिखाता है, जिसमें कि अपराध, सत्ता और व्यक्तिगत रिश्ते आपस में घुल-मिल जाते हैं। इसके बाद इस घटना में कितना सच है और कितना झूठ है, यह तो जाँच के बाद ही साबित होगा, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इस घटना ने 'जंगलराज' (Jungle Raj) की पुरानी यादों को फिर से तजा कर दिया।

कुछ अधिकारियों ने संदेह जताया कि हो सकता है चंपा और मृत्युंजय के बीच पहले आपसी संबंध रहे हों, लेकिन बाद में विवाद और दबाव दोनों की स्थिति बनी।

निष्कर्ष

आईएएस अधिकारी की पत्नी के इस आरोप (Allegations) ने न केवल बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) को हिला दिया है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा, सत्ता के दबाव और न्याय व्यवस्था की नाकामी पर भी गहरे सवाल खड़े किए। यह मामला हमें यह याद दिलाता है कि जब सत्ता में बैठे लोग अपराधियों को संरक्षण देते हैं, तो आम लोग ही नहीं, बल्कि बड़े और सम्मानित परिवार भी सुरक्षित नहीं रह पाते हैं। [Rh/PS]

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