क़ुतुब मीनार केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, वास्तुकला और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है I [Pixabay] 
दिल्ली

क़ुतुब मीनार: मंदिरों पर बनी मीनार या सिर्फ़ एक ऐतिहासिक इमारत ?

कुछ हिंदू संगठनों का दावा है कि यह मीनार 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थी। क्या वाकई इतिहास की ये इमारत धार्मिक विवादों में उलझने लायक है ?

न्यूज़ग्राम डेस्क

क्या क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थी ?

ऐतिहासिक इमारत क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) को लेकर हमारे देश में अधिकतर विवाद होता रहता है। कुछ हिंदू संगठनों का कहना है कि यह मीनार उस जगह बनी है, जहां पहले 27 हिंदू और जैन मंदिर थे। मंदिरों को तोड़कर मस्जिद और मीनार बनाई गई। इसी वजह से वे क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) का नाम बदलकर "विष्णु स्तंभ" रखने की माँग काफी सालों से करते आ रहे हैं।

कुछ सालों पहले कुछ हिंदू संगठन के लोग क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) के पास इकट्ठा हुए। वे भगवा झंडा लेकर आए थे और हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे थे। उन्होंने वहाँ "जय श्री राम" के नारे भी लगाए। इन प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने पूरे परिसर के चारों तरफ बैरिकेडिंग कर दी थी। बाद में कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया।इस प्रदर्शन में यूनाइटेड हिंदू फ्रंट, राष्ट्रवादी शिवसेना और महाकाल मानव सेवा जैसे संगठनों के लोग शामिल थे। इनका कहना था कि क़ुतुब मीनार को "हिंदू विरासत स्थल" के रूप में मान्यता दी जाए।

मंदिरों के मलबे पर बनी मीनार, क्या यही है का क़ुतुब मीनार सच ? (Image source: Pexels)

क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर क्या है ?

दिल्ली के महरौली इलाके में स्थित क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) सिर्फ एक मीनार नहीं, बल्कि एक बड़ा ऐतिहासिक परिसर है। इस परिसर में कई इमारतें हैं, जैसे इस्लाम मस्जिद, पुरानी कब्रें, मदरसे और दूसरे स्मारक भी हैं। यह भारत की पहली इस्लामी इमारतों में से एक माना जाता है। इतिहास में लिखा गया है कि मस्जिद के निर्माण में उन 27 मंदिरों के मलबे का उपयोग किया गया था जो वहाँ पहले मौजूद थे। इसके सबूत खुद मस्जिद के प्रवेश द्वार पर लिखे एक शिलालेख में भी मिलते हैं। आज भी मस्जिद और खंभों में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ, फूल-पत्तों की पत्थर, और मंदिरों जैसा डिज़ाइन साफ़ देखा जा सकता है। खंभे और पत्थर मंदिरों के प्रतीत होते हैं। इस बारे में इतिहासकारों का कहना है कि यह सच है कि मस्जिद में हिंदू मंदिरों के खंभे लगे हुए हैं। लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि वे सभी मंदिर वहीं पर थे। हो सकता है कुछ दूसरी जगहों से लाकर इनका इस्तेमाल किया गया हो। दूसरे इतिहासकार का मानना हैं कि मंदिर उसी जगह पर थे और उन्हीं को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। उन्होंने कहा कि अगर आप मस्जिद के अंदरूनी हिस्से को देखें, तो वहाँ के ढांचे और डिज़ाइन मंदिरों जैसे लगते हैं।

क्या क़ुतुब मीनार मंदिरों की राख पर खड़ी है ? (Image source: Pexels)

क़ुतुब मीनार का निर्माण कब और कैसे हुआ ?

क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) का निर्माण 1200 ईसवी के आसपास शुरू हुआ था।उस समय दिल्ली में राजा पृथ्वीराज चौहान का शासन था, लेकिन बाद में मोहम्मद गौरी ने उन्हें हराकर दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया। मोहम्मद गौरी ने अपने सेनापति क़ुतुबुद्दीन ऐबक को दिल्ली का शासक बनाया। ऐबक ने ही क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) का निर्माण शुरू करवाया, जिसे बाद में उसके उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने पूरा किया। मस्जिद भी ऐबक ने ही बनवाई थी, जो भारत की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक मानी जाती है।

कई हिंदू संगठनों और कुछ वकीलों का कहना है कि वहाँ आज भी हिंदू मूर्तियाँ और अवशेष मौजूद हैं, इसलिए वहाँ पूजा करने का अधिकार दिया जाना चाहिए। एक वकील और हिंदू कार्यकर्ता का कहना है कि मंदिर की पहचान अब भी वहाँ मौजूद है। इसी तरह वकील ने अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि पुराने मंदिरों की मर्यादा और गरिमा को फिर से लाया जाए। उनका कहना है कि मुग़ल शासकों ने हिंदू मंदिरों को जानबूझकर तोड़कर वहाँ मस्जिदें बनवाईं, जिससे हिंदुओं को अपमानित किया जा सके। वे चाहते हैं कि इन जगहों को फिर से हिंदू धार्मिक स्थल घोषित किया जाए।

लेकिन इस विवाद पर पुरातत्व विभाग की राय अलग है। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञ का कहना हैं कि किसी भी ऐतिहासिक इमारत को आज के धार्मिक नजरिये से नहीं देखना चाहिए। उनका मानना है कि ये इमारतें हमारी सांस्कृतिक और स्थापत्य विरासत हैं। इन्हें जैसा हैं, वैसा ही रहने देना चाहिए, ताकि लोग इतिहास को समझ सकें।

इतिहासकार का कहना है कि अगर हम हर इमारत को उसके धार्मिक इतिहास के आधार पर बदलना शुरू करें, तो यह प्रक्रिया कभी खत्म नहीं होगी। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई बौद्ध स्थल भी बाद में मंदिर बन गए थे, तो क्या उन्हें फिर से बौद्ध स्थल बना देना चाहिए ?इतिहासकार कहते हैं कि जब पुरातत्व विभाग ने इस स्थल को अपने संरक्षण में लिया, तब वहाँ ना पूजा होती थी और ना ही नमाज़। पुरातत्व विभाग की नियम के अनुसार अगर किसी इमारत में उसके संरक्षण के समय पूजा या धार्मिक गतिविधि नहीं हो रही थी, तो बाद में वहाँ पूजा शुरू नहीं की जा सकती। इसलिए आज वहाँ पूजा की माँग करना नियमों के खिलाफ है|

क़ुतुब मीनार का नाम बदलकर "विष्णु स्तंभ" रखने की माँग काफी सालों से करते आ रहे हैं। (Image source: Pexels)

अब क़ुतुब (Qutub Minar) मीनार क्या है ?

आज क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) एक राष्ट्रीय धरोहर है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। यह दिल्ली आने वाले हज़ारों पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। यह परिसर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, वास्तुकला और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक है I वहाँ की मस्जिदें, मकबरे, मीनारें और प्राचीन निर्माण कार्य, हमें भारत के इतिहास के कई पहलुओं से परिचित कराते हैं।

निष्कर्ष

क़ुतुब मीनार (Qutub Minar) को लेकर चल रहा विवाद इतिहास और धर्म के बीच की खींचतान को दर्शाता है।कुछ लोग इसे हिंदू मंदिरों का अवशेष मानते हैं, तो कुछ इसे भारत की सभ्यता और वास्तुकला कला का प्रतीक मानते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि हमें इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की जगह उसे समझने और सहेजने की कोशिश करनी चाहिए। जो इमारतें हमें अतीत की जानकारी देती हैं, उन्हें राजनीतिक या धार्मिक विवादों में उलझाने की बजाय सम्मान के साथ संरक्षित करना ज़्यादा ज़रूरी है।

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