What is UAPA : दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अरुंधति रॉय के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। (Wikimedia Commons) 
दिल्ली

क्या है यूएपीए? चौदह साल पुराने मामले के तहत अरुंधति रॉय के खिलाफ चलेगा मुकदमा

न्यूज़ग्राम डेस्क

What is UAPA : कथित तौर पर ‘सार्वजनिक रूप से भड़काऊ भाषण देने’ के लिए जानी मानी लेखिका कार्यकर्ता अरुंधति रॉय के खिलाफ यूएपीए के तहत केस चलेगाा। दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने अरुंधति रॉय के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। आपको बता दें उनके खिलाफ यह केस साल 2010 में दर्ज कराया गया था। अरुंधति रॉय पर यह आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर 21 अक्टूबर 2010 में ‘आज़ादी- द ओनली वे’ के बैनर के तहत नई दिल्ली एलटीजी ऑडिटोरियम कॉपरनिकस मार्ग में आयोजित एक सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिए थे।

चौदह साल पुराना है ये मामला

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, नई दिल्ली की अदालत के आदेश के बाद, सुशील पंडित की शिकायत के आधार पर अक्टूबर 2010 में अरुंधति रॉय और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर के इंटरनेशनल लॉ के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में अन्य दो आरोपी कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और दिल्ली विश्वविद्यालय के व्याख्याता सैयद अब्दुल रहमान गिलानी दोनों की कार्रवाई के दौरान मृत्यु हो गई है।

गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम यानी यूएपीए को आतंकी गतिविधियों के रोकथाम के लिए लाया गया था। (Wikimedia Commons)

यूएपीए में मिलता है आजीवन कारावास

यूएपीए की धारा-15 आतंकवादी गतिविधि को परिभाषित करती है। इसके तहत न्‍यूनतम पांच साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। यदि आतंकवादी गतिविधि में किसी की मौत हो जाती है, तो दोषी को मृत्‍यु दंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है। इस प्रावधान में कहा गया है कि 'जो कोई भी भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, या संप्रभुता को धमकी देने या धमकी देने की आशंका के इरादे से या भारत में या किसी दूसरे देश में भारतीयों या किसी भी वर्ग में आतंक फैलाने के इरादे से या आतंक फैलाने की आशंका के साथ कोई काम करता है तो वो इस कानून के दायरे में आएगा।’

क्यों लाया गया ये कानून

गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम यानी यूएपीए को आतंकी गतिविधियों के रोकथाम के लिए लाया गया था। इसके तहत आतंकियों और आतंकी गतिविधियों में शामिल संदिग्ध लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआई संदिग्ध या आरोपी की संपत्ति जब्त और कुर्क कर सकती है। यूएपीए को साल 1967 में लाया गया था। इस कानून को संविधान के अनुच्छेद-19(1) के तहत दिए गए मौलिक अधिकार पर तर्कसंगत सीमाएं लगाने के लिए पेश किया गया था। यूएपीए का उद्देश्य भारत की अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को ज्‍यादा अधिकार देना था। यूएपीए को विशेष परिस्थिति में लागू किया जा सकता है।

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