Kainchi Dham Mela 2024: समय बीतने के साथ - साथ स्थापना दिवस के इस कार्यक्रम ने कैंची धाम मेले का रूप ले लिया (Wikimedia Commons) 
उत्तराखंड

कैंची धाम स्थापना दिवस पर 4 लाख से भी ज्यादा लोगों के आने की है संभावना

शनिवार 15 जून को होने वाले कैंची धाम स्थापना दिवस को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो गई है। इस वर्ष 4 लाख से भी अधिक भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है। इसलिए मंदिर समिति और प्रशासन ने कमर कस ली है।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Kainchi Dham Mela 2024 : 15 जून को कैंची धाम में स्थापना दिवस पर होने वाले मेले का आयोजन होगा। इस मेले के लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस ने पूरी तैयारियां कर ली है। पुलिस ने मेले के लिए विशेष यातायात प्लान जारी कर दिया है। यह प्लान 14 जून को दोपहर दो बजे के बाद से लागू कर दिया जाएगा। जिसमें भवाली पेट्रोल पंप से कैंची पनीराम ढाबे तक का क्षेत्र जीरो जोन रहेगा। हल्द्वानी की ओर से पहाड़ और पहाड़ से हल्द्वानी की ओर जाने वाले वाहनों को क्वारब से वाया रामगढ़ और भीमताल मार्ग से भेजा जाएगा। आपको बता दें पुलिस ने भवाली, भीमताल में पार्किंग समेत शटल सेवा को भी प्लान में शामिल किया है।

शनिवार 15 जून को होने वाले कैंची धाम स्थापना दिवस को लेकर सभी तैयारियां पूरी हो गई है। इस वर्ष 4 लाख से भी अधिक भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है। इसलिए मंदिर समिति और प्रशासन ने कमर कस ली है।

पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां कागज से निर्मित सामग्री उपयोग में लाई जाएगी। (Wikimedia Commons)

बाबा को मानते हैं हनुमान का अवतार

समय बीतने के साथ - साथ स्थापना दिवस के इस कार्यक्रम ने कैंची धाम मेले का रूप ले लिया और हर साल यह भव्य होता गया। मान्यता है कि बाबा नीम करोली को हनुमान की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान का अवतार भी मानते हैं। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपने पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे हनुमान जी के पैर छूने को कहते थें।

तैयार किया जा रहा है कागज की थैली

यहां इन दिनों रोज दस से पंद्रह हजार श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। इस साल मंदिर ट्रस्ट ने दो लाख से अधिक लोगों को मालपुआ उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली से 42 क्विंटल कागज की थैली मंगाई है। यहां प्रसाद के साथ मिलने वाली सब्जी कागज से बनाए गए गिलास में उपलब्ध कराई जाएगी। विशेष रूप से बनाए गए चार लाख गिलास मंदिर में पहुंच गए है। पर्यावरण की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां कागज से निर्मित सामग्री उपयोग में लाई जाएगी। भक्तों को प्रसाद में यहां मालपुआ दिया जाता है, इसे बनाने का काम 12 जून से पूजा पाठ के साथ शुरू हो गया है, जो मेला समाप्त होने तक चलेगा।

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