“वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ परायी जाने रे”

“वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ परायी जाने रे”
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"वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीड़ परायी जाने रे" अर्थात सच्चा वैष्णव वही है जो दूसरों की पीड़ा को समझता है। यह भजन गुजरात के सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत नरसिंह मेहता द्वारा रचित है। इस भजन को कई फिल्मों में इस्तेमाल किया गया, न जाने कितने प्रसिद्ध गायकों ने स्वर दिया। किन्तु इस भजन को न्याय और असली स्वरुप मिला 'मुनीश रायज़ादा' द्वारा निर्मित वेब-सीरीज़ "ट्रांसपेरेंसी-पारदर्शिता" में। वह इसलिए क्योंकि जो संदेश यह भजन हम सब को देना चाहता है वह उसमे भरपूर मात्रा में उपलब्ध है।

यह भजन, सत्ता के लोभ में चूर उन सभी को आईना दिखाएगा जो स्वराज का राग अलाप कर चंदा-चोरी में जुट गए। जिन्होंने केवल अपना जेब भरा और सत्ता का गलत उपयोग किया।

इस भजन में महात्मा गाँधी, मार्टिन लूथर किंग जू. एवं नेल्सन मंडेला को दर्शाया गया क्योंकि उनके काम और सोच में निःस्वार्थ भावना रहती थी। इन सभी ने अपने देश को विकास के दिशा में नई पहचान दी और वह भी अपने ऊपर कोई दाग न आए। "इंडिया अगेंस्ट करप्शन" का नेतृत्व करने वाले समाज सेवी अन्ना हज़ारे जो कि महात्मा गाँधी के पदचिन्हों पर चलने के लिए जाने जाते हैं, उन्हें भी दर्शाया गया है। वह इसलिए क्योंकि अन्ना हज़ारे ही वह समाज सुधारक हैं जिन्होंने देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए आंदोलन का आह्वाहन किया था। जिनके साथ इस देश का हर वर्ग, संप्रदाय और तबका एक साथ चल रहा था।

इस भजन को आप वेब-सीरीज़ के छठे एपिसोड 'स्वराज के टापू' में देख सकते हैं जिसमे महात्मा गाँधी के आश्रम को भी दर्शाया गया है। इसी एपिसोड में आपको भारत के तीन आदर्श ग्राम को जानने का अवसर मिलेगा। एक है हिवरे बाज़ार दूसरा है रालेगण सिद्धि जो की अन्ना हज़ारे का गांव है और तीसरा तमिलनाडु में कुथमबक्कम गांव। यह तीनों गांव देश में अन्य गांवों के लिए मॉडल के रूप में उभर कर आएं हैं।

जैसा कि आपको ज्ञात होगा कि इस भजन के रचयिता हैं नरसिंह मेहता और इस भजन को स्वर दिया है सावनी मुद्गल ने और इस गीत के संगीतकार हैं प्रवेश मल्लिक। यह गीत मुनीश रायज़ादा फिल्म्स द्वारा निर्मित है।

"Transparency-Pardarshita" वेब सीरीज़ को MX-Player पर मुफ्त में देखने के लिए, दिए गए लिंक पर क्लिक करें: https://www.mxplayer.in/show/watch-transparency-pardarshita-series-online

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