
आयुर्वेद (Ayurveda) में कहा गया है कि जब शरीर का अंदरूनी संतुलन यानी 'त्रिदोष' सही रहता है, तभी हम स्वस्थ महसूस करते हैं।
वैज्ञानिक रिसर्च (Scientific Research) से भी पता चलता है कि शरीर का पीएच लेवल अगर थोड़ा सा भी बिगड़ जाए, तो थकान, सूजन, अपच और त्वचा की समस्याएं बढ़ सकती हैं। बेकिंग सोडा, जिसे वैज्ञानिक भाषा में 'सोडियम बायकार्बोनेट' कहते हैं, शरीर के इस पीएच लेवल को संतुलित करने में मदद करता है। इसका एल्कलाइन गुण शरीर के भीतर मौजूद एसिड को कम करता है और हमें अंदर से तरोताजा बनाता है।
जब हम इसे खाली पेट गुनगुने पानी में घोलकर पीते हैं, तो यह सिर्फ पाचन ही नहीं, बल्कि दिमाग और त्वचा पर भी असर दिखाता है। पेट हल्का महसूस होता है, ब्लोटिंग और गैस की शिकायत दूर हो सकती है।
कई रिसर्च यह भी बताती है कि इससे शरीर की ऊर्जा स्थिर रहती है और दिमाग में जो उलझन बनी रहती है, वह भी कम हो सकती है।
बेकिंग सोडा का असर त्वचा पर भी साफ दिखाई देता है। जब शरीर अंदर से साफ होता है, तो चेहरा भी खुद-ब-खुद निखरने लगता है। मुहांसे, दाग-धब्बे या त्वचा की जलन जैसी समस्याएं कम हो सकती हैं।
वहीं, मुंह की दुर्गंध और सांसों की बदबू से परेशान लोगों के लिए यह एक सस्ता और असरदार उपाय है। यह एक नेचुरल माउथ फ्रेशनर की तरह काम करता है, जो मुंह की सफाई के साथ ताजगी भी देता है।
बेकिंग सोडा मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को थोड़ा बेहतर करने में मदद करता है। इसका एल्कलाइन गुण शरीर में फैट जमा होने से रोकता है और भूख को कंट्रोल करता है। इससे अचानक लगने वाली भूख या स्नैकिंग की आदत में भी सुधार आ सकता है, लेकिन यह तब ही असर दिखाएगा, जब साथ में खानपान संतुलित और लाइफस्टाइल एक्टिव होगी।
कई लोगों को खाने के बाद जलन, अपच या भारीपन की शिकायत होती है। ऐसे में एक चुटकी बेकिंग सोडा पेट को ठंडक देकर राहत दे सकता है।
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