
आयुर्वेद में ईसबगोल को जड़ी-बूटी की तरह माना जाता है और पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ईसबगोल में भरपूर मात्रा में फाइबर (Fiber) होता है, जो कब्ज से बचाता है और गंदे बैक्टीरिया को भी पनपने नहीं देता है।
ईसबगोल ग्लूटेन-मुक्त (Gluten Free) और कम कैलोरी (Calorie) वाला होता है। मतलब ग्लूटेन से एलर्जिक लोग भी इसे ले सकते हैं। ईसबगोल की खेती मुख्यतः सूखे इलाके में की जाती है। जैसे राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और मध्यप्रदेश में इसकी सबसे ज्यादा खेती होती है। आयुर्वेद में ईसबगोल को बहुत महत्वता दी गई है, जिसे तीनों नाड़ियों को साफ करने वाला कहा जाता है। इसकी तासीर ठंडी होती है और अलग-अलग चीजों के साथ लेने पर ये अलग-अलग तरीकों से काम करता है।
ईसबगोल को कब्ज की समस्या, पाचन की गति को बढ़ाने के लिए, मल त्यागने में परेशानी के लिए, और आंतों को साफ करने के लिए किया जाता है। अगर पेट साफ रहता है तो शरीर में हार्मोन का संतुलन, बीपी, हार्टबर्न, गैस, शुगर, और वजन कंट्रोल में रहते हैं। आयुर्वेद में ईसबगोल को लेने के लिए कई तरीके बताए गए हैं। कब्ज, मल त्यागने में परेशानी और आंतों को साफ करने के लिए ईसबगोल को एक चम्मच नींबू और गर्म पानी के साथ मिलाकर लेना चाहिए। ऐसा करने से पेट में जमा गंदगी साफ हो जाएगी।
अगर बढ़ते वजन पर विराम लगाना है तो सुबह खाली पेट शहद में पानी मिलाकर एक चम्मच ईसबगोल डाल दें। रोजाना लेने पर भूख कम लगेगी और पेट भरा हुआ लगेगा। अगर हार्टबर्न या गैस की समस्या ज्यादा रहती है तो ठंडे दूध के साथ ईसबगोल का सेवन करना चाहिए। इससे पेट ठंडा रहेगा और गैस की समस्या में कमी होगी। इसके अलावा, ब्लड शुगर (Blood Sugar) की समस्या के लिए आधा चम्मच दालचीनी को पानी में मिलाकर एक चम्मच ईसबगोल के साथ लेना चाहिए।
(BA)