काली मिर्च के दाने एक-दूसरे के ऊपर बिखरे हुए दिखाई दे रहे हैं।
काली मिर्च जैसी शीतल चीनी: सर्दियों में सांस और स्वास्थ्य के लिए गुणकारी जड़ी-बूटी।IANS

काली मिर्च जैसी दिखने वाली शीतल चीनी है गुणों से भरपूर, सेवन से पहले जान लें विधि

नई दिल्ली, सर्दियों में कोहरे और प्रदूषण की वजह से सांस संबंधी परेशानियां बढ़ जाती हैं। अक्सर बड़ी उम्र के लोगों में सांस लेने में तकलीफ की समस्या सर्दियों में ज्यादा देखी गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक काली मिर्च जैसी दिखने वाली जड़ी-बूटी सदियों में होने वाली हर तकलीफ का इलाज करने में सक्षम है?
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हम बात कर रहे हैं शीतल चीनी की, जो दिखने में काली मिर्च की तरह होती है लेकिन स्वाद और गुणों में बिल्कुल उलट होती है।

आयुर्वेद (Ayurveda) में शीतल चीनी को औषधि माना गया है और इसे कबाब चीनी के नाम से भी जाना जाता है। इसका स्वाद तीखा और कड़वा होता है, लेकिन औषधीय गुण कई बीमारियों में राहत देते हैं। ये पाइल्स, सांस संबंधी परेशानी, खाने की नली या सांस लेने में सहायक नली में परेशानी, व्हाइट डिस्चार्ज (White Discharge, यूरिन इन्फेक्शन (Urine Infection), हृदय से संबंधी रोग (Heart Disease), खांसी-जुकाम (Cough and Cold), एमेनोरिया (Amenorrhea), पुराना ब्रोंकाइटिस (Chronic Bronchitis) और अस्थमा (Asthma) जैसी परेशानियों में राहत देती हैं।

अगर कम पानी या गर्म पानी पीने की वजह से यूरिन इंफेक्शन बार-बार होता है तो शीतल चीनी इसमें सहायक है। इसमें सोडियम (Sodium) भरपूर मात्रा में होता है, जो विषैले पदार्थों को बाहर निकालकर पेट दर्द में आराम देता है और जलन में भी राहत देता है। आंतों में सूजन या बार-बार दस्त लगने की परेशानी में भी शीतल चीनी राहत देती है।

शीतल चीनी की तासीर ठंडी होती है और आंतों की सूजन को कम करने में मदद करती है, साथ ही आंतों में जमे विषैले पदार्थों (Toxic Substances) को बाहर करके उन्हें साफ करती है। सर्दियों में सर्दी-खांसी होने के बाद छाती में बलगम की समस्या देखी जाती है जिससे सांस लेने में भी परेशानी होती है। ऐसे में शीतल चीनी में मौजूद एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) बलगम को जमा होने से रोकते हैं और पुरानी से पुरानी जमी बलगम को बाहर निकालने का काम करते हैं।

इसके सेवन के लिए बाजार से शीतल चीनी लाकर पहले उसे सुखा लें और सिर्फ पीस लें। एक गिलास पानी में एक चौथाई चम्मच शीतल चीनी डालें और इसका 3 से 5 दिन तक इसका सेवन करें। बच्चों को देने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक (Ayurvedic Doctor) की सलाह जरूर लें।

[AK]

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