भारत में राज्यों का गठन: एकजुटता की कहानी

आज़ादी के बाद भारत में राज्यों की सीमाएं और पहचान तय करना आसान नहीं था। भाषाई, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारणों से कई नए राज्य बने, जिनकी यात्रा संघर्ष और समझौते से भरी थी।
सरदार पटेल और वी.पी. मेनन का योगदान  (Sora AI)
सरदार पटेल और वी.पी. मेनन का योगदान (Sora AI)
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1947 में हमें आज़ादी मिली, लेकिन देश को एकजुट करना उतना आसान नहीं था। उस समय भारत का नक्शा आज जैसा नहीं था, उसमे लगभग 565 रियासतें (Princely States), ब्रिटिश प्रांत और छोटे-छोटे क्षेत्र थे। हर रियासत के अपने राजा-महाराजा थे, और आज़ादी के समय उन्हें तीन विकल्प दिए गए, भारत में शामिल होना, पाकिस्तान में शामिल होना, या खुद का स्वतंत्र देश बनाना। अगर तीसरा विकल्प ज्यादा चुना जाता, तो भारत टुकड़ों में बट जाता और एक मजबूत राष्ट्र कभी नहीं बन पाता।

सरदार पटेल और वी.पी. मेनन का योगदान

देश को जोड़ने का सबसे बड़ा काम सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Patel) और वी.पी. मेनन (V.P. Menon) ने किया। उन्होंने ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ (Instrument of Accession) नाम का एक समझौता तैयार किया, जिसमें रियासतों को भारत से जुड़ने के लिए साइन करना पड़ता था। ज़्यादातर रियासतों ने यह साइन कर दिया, लेकिन हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर के राजाओं ने शुरू में मना कर दिया।

जूनागढ़ के नवाब पाकिस्तान में शामिल होना चाहते थे, लेकिन वहां की जनता भारत में रहना चाहती थी।लोकमत मतदान हुआ और लोग भारत के साथ जुड़ गए।

हैदराबाद के निज़ाम भी आज़ाद रहना चाहते थे, लेकिन अंदरूनी विद्रोह और ‘ऑपरेशन पोलो’ के बाद हैदराबाद भारत में शामिल हो गया।

कश्मीर के महाराजा हरि सिंह (Maharaja Hari Singh) पहले आज़ाद रहना चाहते थे, लेकिन पाकिस्तान के हमले के बाद उन्होंने भारत से मदद मांगी और ‘इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ पर साइन कर दिए।

भाषा के आधार पर राज्यों का निर्माण

शुरुआत में सरकार की प्राथमिकता देश को स्थिर करना थी, राज्यों को भाषा के आधार पर बनाना नहीं। लेकिन जनता की मांग लगातार बढ़ती रही।

आज 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं  (Sora AI)
आज 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं (Sora AI)

1952 में पोट्टी श्रीरामलू (Potti Sriramulu) ने आंध्र प्रदेश को अलग राज्य बनाने की मांग करते हुए भूख हड़ताल शुरू की। उन्होंने 58 दिन तक कुछ नहीं खाया और उनकी मौत हो गई। इससे देशभर में गुस्सा फैल गया और सरकार को मजबूर होकर 1953 में आंध्र प्रदेश को मद्रास प्रांत से अलग करना पड़ा।

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अलग-अलग राज्यों का गठन

आंध्र प्रदेश बनने के बाद बाकी जगहों पर भी लोग भाषा और संस्कृति के आधार पर राज्य बनाने की मांग करने लगे। 1956 में ‘राज्यों के पुनर्गठन आयोग’ (States Reorganization Commission) बना और राज्यों को नई सीमाओं में बांटा गया।

1960 में बॉम्बे राज्य को बांटकर महाराष्ट्र और गुजरात बनाए गए।

1966 में पंजाब से हरियाणा अलग हुआ और चंडीगढ़ केंद्र शासित (Union Territory) क्षेत्र बना।

1972 में मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा अलग राज्य बने।

2000 में उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड, बिहार से झारखंड और मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग हुए।

2014 में आंध्र प्रदेश से तेलंगाना बना।

डर था, लेकिन हुआ उल्टा

जब ये राज्यों का गठन हो रहा था, कई नेता डरते थे कि इतनी बंटवारा जैसी प्रक्रिया से देश टूट जाएगा। लेकिन हुआ उल्टा, अलग राज्यों ने अपनी पहचान पाई, प्रशासन बेहतर हुआ और देश और मज़बूत होकर जुड़ गया।

 राज्यों का गठन (Sora AI)
राज्यों का गठन (Sora AI)

निष्कर्ष 

आज 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं, 1947 से लेकर अब तक भारत का नक्शा कई बार बदला है। यह बदलाव कभी भाषाई पहचान, कभी सांस्कृतिक कारणों और कभी प्रशासनिक ज़रूरतों के कारण हुआ। यह प्रक्रिया बताती है कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है, जहां लोगों की आवाज़ और पहचान को महत्व दिया जाता है|[Rh/BA]

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