

राष्ट्रीय खेल शासन अधिनियम, जुलाई 2025 में लोकसभा में पेश किया गया और अगस्त में दोनों सदनों से पारित होने के बाद कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। यह भारत का पहला कानून है, जो 2011 के राष्ट्रीय खेल विकास संहिता को कानूनी रूप प्रदान करता है। इसके मुख्य प्रावधानों में राष्ट्रीय खेल बोर्ड (National Sports Board) का गठन शामिल है, जो राष्ट्रीय खेल निकायों को मान्यता प्रदान करेगा। नए कानून के मुताबिक मान्यता प्राप्त निकाय ही सरकारी फंड प्राप्त कर सकेंगे। हर निकाय में 15 सदस्यीय कार्यकारी समिति होगी, जिसमें कम से कम चार महिलाएं और दो एथलीट शामिल होंगे। उम्र सीमा 70 वर्ष रखी गई है, जो कुछ मामलों में 75 साल हो सकती है।
इस अधिनियम से खेल संघों में एथिक्स कमिटी, विवाद समाधान कमिटी, और एथलीट्स कमिटी (Athletes Committee) का गठन अनिवार्य होगा। राष्ट्रीय खेल न्यायाधिकरण की स्थापना की गई है, जो सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में खेल संबंधित विवादों का शीघ्र निपटारा करेगा। कानून खेल निकायों को आरटीआई के दायरे में लाता है। ई-स्पोर्ट्स को भी मान्यता मिली है, जो डिजिटल युग में खेल को विस्तार देगा।
राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) अधिनियम, 2025, 2022 के मूल अधिनियम का संशोधन है। यह विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के मानकों से पूर्ण सामंजस्य स्थापित करता है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) को पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की गई है और सरकारी हस्तक्षेप समाप्त किया गया है। सभी प्रयोगशालाओं को वाडा मान्यता अनिवार्य है और अपील प्रक्रिया सरल बनाई गई है।
इससे भारतीय एथलीटों पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध का खतरा कम होगा और स्वच्छ खेल को बढ़ावा मिलेगा। ये कानून खेल प्रशासन (Law Sports Administration) में क्रांति लाएंगे। पहले संघों में राजनीतिक हस्तक्षेप, भाई-भतीजावाद और विवाद आम थे, अब पारदर्शिता और एथलीट केंद्रित नीतियां लागू होंगी। महिला और पैरा एथलीटों (Para Athletes) की सुरक्षा के लिए 'सेफ स्पोर्ट्स पॉलिसी' अनिवार्य है।
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