![इसी आज़ादी का नतीजा है कि आज भारत के कोने-कोने से खिलाड़ी निकलकर दुनिया के मंच पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। [Sora Ai]](http://media.assettype.com/newsgram-hindi%2F2025-08-13%2F692l1h0q%2Fassetstask01k2hzfv9bef2tfy3sk2342ww21755097821img0.webp?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
79वां स्वतंत्रता दिवस (79th Independence Day), एक ऐसा दिन जो हमें न सिर्फ आज़ादी की कीमत याद दिलाता है, बल्कि उन वीरों के त्याग और बलिदान को भी सलाम करता है, जिन्होंने अपनी जान देकर हमें स्वतंत्र भारत का तोहफ़ा दिया। लेकिन आज़ादी सिर्फ राजनीति या शासन में बदलाव का नाम नहीं है, बल्कि यह उस स्वतंत्रता का भी प्रतीक है, जिसमें हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं, अपनी पहचान बना सकते हैं और हर क्षेत्र में देश का नाम रोशन कर सकते हैं।
इसी आज़ादी का नतीजा है कि आज भारत के कोने-कोने से खिलाड़ी निकलकर दुनिया के मंच पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। जहां कभी खेलों की पहचान सिर्फ क्रिकेट तक सीमित थी, वहीं अब बर्फीली वादियों में भी खेलों का परचम लहराया जा रहा है। लद्दाख की ऊंची पहाड़ियों, जमा देने वाली ठंड और बर्फ से ढके मैदानों में एक ऐसा खेल खेला जा रहा है, जिसे देखकर दुनिया हैरान रह जाती है, इसका नाम है आइस हॉकी (Ice Hockey)।
आज हम आपको लद्दाख की बेटियां की कहानी बताएंगे जिनके लिए बर्फ कभी सिर्फ सर्दियों का हिस्सा थी, लेकिन आज वे उसी बर्फ को अपनी ताकत और जुनून में बदल चुकी हैं। अपनी मेहनत, लगन और जज़्बे से ये लड़कियां साबित कर रही हैं कि अगर हौसला बुलंद हो, तो देश की पहचान हिमालय की चोटियों जितनी ऊंची बनाई जा सकती है।
‘Girls Ice Hockey Team’: कैप्टन और टीम की संघर्षगाथा
लद्दाख की लड़कियों की आइस हॉकी टीम (‘Girls Ice Hockey Team’) की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं। इस टीम की कप्तान डोलमा त्सेरिंग न सिर्फ़ एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं, बल्कि एक ऐसी लीडर भी हैं जिन्होंने अपनी साथियों के साथ तमाम मुश्किलों के बीच जीत का रास्ता बनाया। लद्दाख की सर्दियों में जब तापमान माइनस 20 डिग्री तक चला जाता है, तब भी ये लड़कियां बर्फ़ की जमी हुई झीलों पर प्रैक्टिस करती हैं। टीम की शुरुआत बहुत छोटे स्तर से हुई थी। न तो उन्हें प्रोफेशनल आइस हॉकी रिंग मिला, न ही महंगे उपकरण। हॉकी स्टिक के लिए उन्होंने लकड़ी के डंडों को तराशा, और स्केट्स कई बार सेकंड-हैंड या पुराने इस्तेमाल किए गए। इस टीम की कप्तान और टीम के बीच एक गहरी समझ और जुनून था। वे जानती थीं कि अगर एक भी सदस्य हार मानेगा तो पूरी टीम टूट जाएगी।
लद्दाख की इस महिला टीम (‘Girls Ice Hockey Team’) की सबसे बड़ी चुनौती थी संसाधनों की कमी और परिवार व समाज की सोच। कई लोगों ने कहा, “ये खेल लड़कियों के बस का नहीं,” लेकिन कप्तान डोलमा और उनकी टीम ने इन शब्दों को अपनी ताकत बना लिया। उन्होंने ठंड, चोट, लंबी दूरी और अभ्यास की कठिन परिस्थितियों को झेलते हुए एक मजबूत टीम तैयार की। धीरे-धीरे, उनकी मेहनत ने रंग लाना शुरू किया। उन्होंने स्थानीय टूर्नामेंट्स में जीत हासिल की, और फिर नेशनल लेवल पर लद्दाख का नाम रोशन किया। आज, ये टीम सिर्फ़ एक स्पोर्ट्स ग्रुप नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की आशा और प्रेरणा है। उन्होंने यह साबित किया कि अगर हौसला बुलंद हो, तो बर्फ़ भी आपके सपनों के लिए पिघल सकती है।
लद्दाख की बर्फ़ से निकलकर, दुनिया के मंच तक!
लद्दाख की इस जांबाज़ गर्ल्स आइस हॉकी टीम (‘Girls Ice Hockey Team’) ने सिर्फ़ अपने गांव-कस्बे में ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। कठिन हालातों में पले-बढ़े इन खिलाड़ियों ने नेशनल और इंटरनेशनल दोनों स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। नेशनल स्तर पर, इस टीम ने कई बार वुमेंस आइस हॉकी चैंपियनशिप (Women's Ice Hockey Championship) में शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक जीते। ठंड से जमे हुए झीलों पर घंटों प्रैक्टिस कर, उन्होंने साबित किया कि जुनून और मेहनत किसी भी मुश्किल को मात दे सकता है।
इंटरनेशनल स्तर पर, इनकी कहानी और भी प्रेरणादायक है। लद्दाख की बेटियां एशियन चैंपियनशिप (Asian Championship) और अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट (International Tournament) में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। वहां, उन्होंने न सिर्फ़ जीत दर्ज की, बल्कि विदेशी खिलाड़ियों और कोचों से सीखकर अपने खेल को और निखारा। आज, ये खिलाड़ी नए खिलाड़ियों के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं। इनकी सफलता बताती है कि सपनों की कोई सीमा नहीं होती, चाहे वो बर्फ़ीली पहाड़ियों में जन्मे हों या संसाधनों की कमी से जूझते हों। इनके जज़्बे ने लद्दाख से लेकर पूरी दुनिया तक भारत का तिरंगा ऊंचा किया है।
कहानी ‘Girls Ice Hockey Team’ की स्कर्मा रिनचेन की
लद्दाख के अर्ध-खानाबदोश गांव ग्या मेरु से निकली २० वर्षीय स्कर्मा रिनचेन की कहानी साहस और धैर्य का प्रतीक है। 2017 में, जब उन्होंने आइस हॉकी का पहला प्रशिक्षण कार्यशाला देखा, तो स्केटिंग बूट पर खड़े होना भी उसके लिए चुनौती बन गया। लेकिन उनके दिल में छिपा जुनून बढ़ता गया। अगले साल लद्दाख महिला संघ द्वारा आयोजित 15 दिवसीय Leh वर्कशॉप ने उनकी ज़िंदगी बदल दी, जहाँ वे नियमित रूप से भारत की महिला राष्ट्रीय आइस हॉकी टीम की कंडिशनिंग सत्रों में शामिल होती रहीं।
उनकी मेहनत रंग लाई, 2023 में वो राष्ट्रीय टीम में शामिल हो गईं। Royal Enfield Ice Hockey League में Maryul Spamo Leh टीम का हिस्सा बनकर उन्होंने स्वर्ण पदक भी जीता। 2024 में, लद्दाख की महिला टीम के साथ राष्ट्रीय चैंपियनशिप में रजत पदक उनके नाम रहा। हालांकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके पदार्पण पर भारत को हार का सामना करना पड़ा, लेकिन नेपाल, मलेशिया और उज्बेकिस्तान जैसी टीमों पर जीत ने उनके आत्मविश्वास को और निखारा। स्कर्मा का मानना है कि आइस हॉकी केवल एक खेल नहीं, बल्कि लड़कियों के लिए हौसले और अवसर को जगाने वाला माध्यम है। उनकी यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत विजय है, बल्कि लद्दाख की दूरदराज़ की लड़कियों के लिए प्रेरणा का दीपस्तंभ भी है।
Also Read
राष्ट्र और सीमाओं पर विजय: पुरस्कार और रिकॉर्ड्स
1. राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
लद्दाख महिला आइस हॉकी टीम (‘Girls Ice Hockey Team’) ने 15–20 जनवरी 2022 को हिमाचल प्रदेश के काज़ा में आयोजित 9वीं राष्ट्रीय महिला आइस हॉकी चैम्पियनशिप (Women's Ice Hockey Championship) में स्वर्ण पदक जीता। इसमें दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, तेलंगाना और आईटीबीपी जैसी टीमों को हराते हुए उन्होंने यह खिताब अपने नाम किया।
2. ढाई साल तक सिल्वर का जादू
इसके अलावा, प्रति चार राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उनकी टीम ने लगातार 2019, 2021, 2023 और 2024 में रजत पदक जीता, जो एक निरंतरता और कड़ी मेहनत का प्रतीक है।
3. एशियाई स्तर पर ऐतिहासिक कांस्य पदक
2025 में, भारतीय महिला आइस हॉकी टीम(‘Girls Ice Hockey Team’) , जिसमें लद्दाख की कई खिलाड़ी शामिल थीं, उन्होंने ने IIHF महिला एशिया कप में ऐतिहासिक रूप से ब्रोन्ज मेडल हासिल किया। यह उपलब्धि भारतीय महिलाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बड़ी सफलता मानी गई।
लद्दाख की आइस हॉकी गर्ल्स टीम (‘Girls Ice Hockey Team’) ने न सिर्फ कठिन बर्फीले प्रदेश की चुनौतियों को पार किया, बल्कि लगातार राष्ट्रीय और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतकर इस क्षेत्र को गर्व से नवाजा है। [Rh/SP]