असम के कोकराझार जिले से एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सिर्फ 7 साल की एक बच्ची की मौत एक काली मकड़ी के काटने से हो गई। (Sora AI)
असम के कोकराझार जिले से एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सिर्फ 7 साल की एक बच्ची की मौत एक काली मकड़ी के काटने से हो गई। (Sora AI)

ब्लैक विडो मकड़ी के ज़हरीले डंक से 7 साल की बच्ची की मौत, असम में दहशत का माहौल

असम में 7 साल की बच्ची की दर्दनाक मौत (Girl Death) ब्लैक विडो मकड़ी (Black Widow Spider) के काटने से हो गई, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। ज़हरीली (Poisonous Insect) और खतरनाक मानी जाने वाली यह मकड़ी अब भारत में भी देखी जा रही है। विशेषज्ञों ने सतर्कता और साफ-सफाई को बचाव का सबसे बड़ा उपाय बताया है।
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असम के कोकराझार जिले से एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां सिर्फ 7 साल की एक बच्ची की मौत एक काली मकड़ी के काटने से हो गई। इस घटना ने पूरे इलाके में डर का माहौल बना दिया है। जिस मकड़ी के काटने से यह हादसा हुआ, उसे दुनियाभर में ‘ब्लैक विडो स्पाइडर’ (Black Widow Spider) के नाम से जाना जाता है। यह दिखने में जितनी छोटी है, उतनी ही ज़हरीली और खतरनाक भी मानी जाती है।

क्या होती है ब्लैक विडो स्पाइडर ?

ब्लैक विडो स्पाइडर का वैज्ञानिक नाम Latrodectus है। यह मकड़ी आमतौर पर अंधेरी, गंदी और बंद जगहों में पाई जाती है, जैसे लकड़ियों का ढेर, गैरेज, पुराने कार्टन या बंद कमरों के कोने। यह आम मकड़ियों से थोड़ी अलग होती है, इसकी त्वचा चमकदार काली होती है, और इसके पेट पर एक लाल रंग का रेतघड़ी (hourglass) जैसा निशान बना होता है। इस मकड़ी की मादा सबसे ज़्यादा विषैली होती है और इसी कारण से इसे “ब्लैक विडो” कहा जाता है, क्योंकि मादा ब्लैक विडो कभी-कभी संभोग के बाद नर को खा जाती है। यही वजह है कि इसे 'विधवा' यानी 'विडो' कहा जाता है।

ब्लैक विडो स्पाइडर का वैज्ञानिक नाम Latrodectus है। यह मकड़ी आमतौर पर अंधेरी, गंदी और बंद जगहों में पाई जाती है, जैसे लकड़ियों का ढेर, गैरेज, पुराने कार्टन या बंद कमरों के कोने।     (Sora AI)
ब्लैक विडो स्पाइडर का वैज्ञानिक नाम Latrodectus है। यह मकड़ी आमतौर पर अंधेरी, गंदी और बंद जगहों में पाई जाती है, जैसे लकड़ियों का ढेर, गैरेज, पुराने कार्टन या बंद कमरों के कोने। (Sora AI)

कितना खतरनाक है इसका डंक ?

ब्लैक विडो मकड़ी (Black Widow Spider) का डंक अत्यधिक न्यूरोटॉक्सिक होता है। इसका ज़हर शरीर के नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है। जैसे ही यह इंसान को काटती है, कुछ ही मिनटों के भीतर असर दिखना शुरू हो जाता है। इसके लक्षण हैं - मांसपेशियों में तेज़ ऐंठन, अत्यधिक दर्द, चक्कर आना, उल्टी या मतली।

ज़्यादा पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ होना। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और जिनकी इम्यून सिस्टम कमज़ोर होती है, उनके लिए यह डंक जानलेवा हो सकता है। यही बात असम की एक बच्ची पर भी लागू हुई अगर उसे तुरंत इलाज मिल जाता, तो शायद उसकी जान बच सकती थी।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्ची एक टोकरा उठाकर उसमें से अंडे निकाल रही थी, जब उसे ब्लैक विडो (Poisonous Insect) स्पाइडर ने काट लिया। कुछ देर तक बच्ची की तबीयत बिगड़ती गई और फिर उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत (Girl Death) हो गई। डॉक्टरों ने कहा कि उसे सांस लेने में कठिनाई, तेज बुखार और शरीर में अकड़न की शिकायत थी, जो कि ब्लैक विडो के ज़हर के सामान्य लक्षण हैं। ब्लैक विडो (Black Widow Spider) आमतौर पर दक्षिणी अमेरिका और उत्तरी अमेरिका में पाई जाती है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक व्यापार के कारण अब इसकी कुछ प्रजातियाँ भारत सहित अन्य देशों में भी देखी जाने लगी हैं। गर्म और नम स्थानों में इसके पनपने की संभावना अधिक होती है।

भारत में अब तक ब्लैक विडो (Poisonous Insect) के काटने के मामले बहुत कम सामने आए थे, लेकिन असम की इस घटना ने खतरे की घंटी बजा दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि बदलते पर्यावरण और ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण ज़हरीले कीट-पतंगे और मकड़ियाँ अब उन इलाकों में भी पहुँच रहे हैं, जहां पहले इनकी संभावना नहीं थी।ग्रामीण इलाकों में, जहां सफाई की उचित व्यवस्था नहीं होती और चिकित्सा सेवाएं दूर-दराज़ होती हैं, ऐसे ज़हरीले जीव और भी अधिक ख़तरनाक साबित हो सकते हैं।

ब्लैक विडो मकड़ी (Black Widow Spider) का डंक अत्यधिक न्यूरोटॉक्सिक होता है। इसका ज़हर शरीर के नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है।   (Sora AI)
ब्लैक विडो मकड़ी (Black Widow Spider) का डंक अत्यधिक न्यूरोटॉक्सिक होता है। इसका ज़हर शरीर के नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र पर असर डालता है। (Sora AI)

ब्लैक विडो का इलाज क्या है ?

ब्लैक विडो (Black Widow Spider) के काटने के बाद अगर समय पर चिकित्सा मिल जाए, तो मौत से बचा जा सकता है। आमतौर पर डॉक्टर - दर्द निवारक दवाएं (Painkillers), मांसपेशियों को आराम देने वाली दवाएं (Muscle Relaxants), एंटीवेनम (Anti-Venom), गंभीर मामलों में इसका उपयोग करते हैं। लेकिन अगर इलाज में देर हो जाए या मरीज पहले से कमजोर हो, तो खतरा बढ़ सकता है।

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इससे बचाव के लिए - सफाई रखें, मकड़ियाँ गंदगी और अंधेरे को पसंद करती हैं। घर और आसपास साफ-सफाई रखें। पुराना सामान छूते वक्त सावधानी रखें, अगर आप लकड़ी, बक्से या पुराने कपड़े छू रहे हैं, तो दस्ताने पहनें। फर्श और दीवारों की दरारें बंद करें - मकड़ियाँ इन्हीं दरारों में घुसती हैं और जाले बनाती हैं। खिड़की-दरवाजों पर जाली लगाएं - ताकि बाहर से कोई कीड़ा-मकोड़ा अंदर न आ सके। पुदीने का तेल, नींबू का रस और सिरका मिलाकर स्प्रे करने से मकड़ियाँ दूर रहती हैं। नमक के घोल से भी मकड़ियों को भगाया जा सकता है। लेकिन अगर समस्या बढ़ रही हो, तो प्रोफेशनल पेस्ट कंट्रोल करवाना ही सबसे सही उपाय है।

दुनिया में कुछ और भी मकड़े हैं जो ब्लैक विडो से भी ज्यादा ज़हरीले माने जाते हैं, जैसे सिडनी फनल-वेब स्पाइडर (ऑस्ट्रेलिया) - इसका जहर कुछ ही मिनटों में इंसान को बेहोश कर सकता है। ब्राजीलियन वांडरिंग स्पाइडर - यह दुनिया का सबसे ज़हरीला मकड़ा माना जाता है। हालांकि इनका भारत में होना बहुत दुर्लभ है, लेकिन ब्लैक विडो जैसे मामलों ने यह साबित कर दिया है कि अब हमें और सतर्क रहने की ज़रूरत है।

इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे संदिग्ध कीड़ों से दूर रहें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें।  (Sora AI)
इस घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे संदिग्ध कीड़ों से दूर रहें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें। (Sora AI)

निष्कर्ष

ब्लैक विडो मकड़ी (Black Widow Spider) भले ही बहुत आम न हो, लेकिन यह दिखने में छोटी और मासूम लगने वाली जीव कितना खतरनाक हो सकता है, यह असम की घटना ने साफ कर दिया है। यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि हम सभी को अब अपनी सुरक्षा और जागरूकता पर ध्यान देना होगा। घर की सफाई, बच्चों को सतर्क करना, कीटों से बचाव के उपाय अपनाना ये सभी कदम मिलकर हमें और हमारे परिवार को ऐसे खतरनाक जीवों से बचा सकते हैं। काली मकड़ी से हुई इस दुखद (Girl Death) मौत से सीख लेकर हमें सतर्कता का जीवन मंत्र अपनाना चाहिए। [Rh/PS]

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