तांडव (शिव नृत्य) Wikimedia
Zara Hat Ke

क्या हिंदुओं के अलावा दूसरे धर्मों को नृत्य की मनाही हैं?

तांडव भगवान शिव (Lord Shiva) किया करते हैं, जब वह नृत्य करते हैं तो उनका यह रूप नटराज (Natraj) कहलाता हैं।

न्यूज़ग्राम डेस्क, Poornima Tyagi

हिंदू (Hindu) धर्म में नृत्य (Dance) का खास महत्व है कोई भी त्योहार हो या खुशी का मौका हिंदू नाचने से पीछे नहीं हटते हैं। यहां तक कि पूजा के वक्त भी नृत्य एक खास परंपरा की तरह है। हिंदू देवी देवता भी नृत्य करते हैं और आज भी मंदिरों में पूजा पाठ के समय नृत्य किया जाता है।

इसे परमात्मा (God) से जुड़ने का एक अभिन्न हिस्सा माना गया है। हालांकि यह सिर्फ हिंदू धर्म में है अन्य धर्मों में ऐसा नहीं है हिंदू धर्म में मानी जाने वाली चीजों में से एक नृत्य भी है। हिंदू देवी देवता नृत्य करते हैं। और तांडव भगवान शिव (Lord Shiva) किया करते हैं, जब वह नृत्य करते हैं तो उनका यह रूप नटराज (Natraj) कहलाता हैं। वहीं दूसरी ओर गोपियों संग या शेषनाग के फन पर नृत्य करते भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna)।

गणेश भगवान और मां काली भी नृत्य करते हैं। मां काली तो नृत्य में शिव के साथ प्रतिस्पर्धा करती है। इतना ही नहीं हम देवी देवताओं के अलावा अपनी अप्सराओं के बीच भी नृत्य प्रतियोगिताओं के बारे में सुनते आए हैं। भारत के अलावा अन्य देशों में भी भारतीय नृत्य परंपरा को दिखाया जाता है।

नृत्य देवी देवताओं का अभिन्न अंग रहा है और वेदों में देवताओं के नृत्य करने का उल्लेख भी मौजूद है जब नृत्य के जरिए विचारो का संचार किया जाता है तो यह माध्यम बन जाता है तथा यह एक मनोरंजन का नहीं बल्कि एक भाषा की तरह कार्य करता है।

नटराज

हिंदू धर्म के अलावा अन्य धर्मों में नृत्य की प्रथा को लेकर अलग अलग मत है।कुछ लोग इसका विरोध करते हैं और धर्म को मौन और पवित्रता से जुड़ी हुई एक गंभीर इकाई मानते हैं।

वहीं दूसरी ओर ईसाई (Christian) परंपरा में यह मूर्ति पूजा से जुड़ा था। पुराने नियम के अनुसार राजा डेविड को इसलिए फटकार लगाई गई क्योंकि उन्होंने वाचा के संदूक के सामने नृत्य किया था। इस्लाम (Islam) में इसे हराम माना गया है। आदिवासी समुदाय में नृत्य की कुछ प्रथाएं तो है लेकिन वहां केवल पुरुष पुरुष के साथ और महिला महिला के साथ ही नृत्य कर सकती है। नृत्य को मनोरंजन के साधन के रूप में देखने के लिए कामुक, पापी और राजाओं की हरम से जुड़ा हुआ कार्य माना जाता है।

हिंदू धर्म का कोई भी त्योहार बिना नृत्य के अधूरा है लेकिन फिर भी इसकी सराहना वैश्विक संस्कृति में कभी नहीं होती। पश्चिम पर्यटकों को तो आज भी गणेश उत्सव और नवरात्रि के दौरान नाचना गाना अजीब लगता है मस्जिद में भी कभी नृत्य नहीं किया जाता।

(PT)

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