गोल्डन बेबी लीग का मकसद बच्चों को कम उम्र से ही खेलों के लिए प्रेरित करना है। (Unsplash)  
ब्लॉग

मैच के लिए सुबह छह बजे उठकर 70 किमी का सफर तय करते थे बच्चे

NewsGram Desk

गोल्डन बेबी लीग के 2019-20 सीजन में करीब 350 से अधिक बच्चों ने विभिन्न बाधाओं को पार करके इस फुटबाल टूर्नामेंट में भाग लिया। ये बच्चे पहाड़ी राज्य मेघालय में मैच के दिन करीब 70 किलोमीटर की यात्रा करके मैच खेलने आते थे।

अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) की वेबसाइट ने लीग के संचालक गिल्बर्ट जैकसन के हवाले से कहा, " पहली गोल्डन बेबी लीग में हम प्रत्येक मैच के दिन हितधारकों और क्लबों को दूर-दराज के इलाकों से लेकर आए। कई इलाकों के क्लबों और विभिन्न समुदायों के बच्चों ने इसमें हिस्सा लिया। कई बच्चे तो मैच के दिन सुबह छह बजे उठकर 70 किमी का सफर करते थे।"

गोल्डन बेबी लीग परियोजना को शुरू करने का मकसद लड़के और लड़कियों की नई पीढ़ी को कम उम्र से ही खेलों के लिए प्रेरित करना है।

एआईएफएफ ने 2018 में 6 से 12 साल तक के बच्चों के लिए इस परियोजना को शुरू किया था। इसका लक्ष्य लिंग, धर्म और आर्थिक हालात के भेदभाव के बिना फुटबॉल की सुविधाएं प्रदान करना है। (आईएएनएस)

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचती हैं जो रस्सियाँ, उनके पीछे छिपी है एक आदिवासी समाज!

मोहम्मद शमी को कोर्ट से बड़ा झटका : पत्नी-बेटी को हर महीने देने होंगे 4 लाख रुपये !

जिसे घरों में काम करना पड़ा, आज उसकी कला को दुनिया सलाम करती है – कहानी दुलारी देवी की

सफलता की दौड़ या साइलेंट स्ट्रगल? कोरिया में डिप्रेशन की असली वजह

जहां धरती के नीचे है खजाना, वहां ऊपर क्यों है गरीबी का राज? झारखंड की अनकही कहानी