प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में और अधिक प्रयास करने के लिए भारतीय उद्योग जगत से आह्वान किया। उन्होंने देश के निजी क्षेत्र से अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में योगदान देने और अधिक से अधिक निवेश करने के लिए कहा।
शनिवार को एसोचैम के एक कार्यक्रम को वर्चुअल तौर पर संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए लगातार सुधार कर रहे हैं।"
महामारी के दौरान भारत में बड़े पैमाने पर हुए अन्य वैश्विक निवेशों के साथ-साथ विदेशी संस्थागत निवेशों का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों और उद्योगों का ²ष्टिकोण बदल गया है। पहले वे सोचते थे 'भारत में क्यों निवेश करें' लेकिन अब वे सोचते हैं 'क्यों न भारत में निवेश करें'।
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उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब दुनिया चौथी औद्योगिक क्रांति की ओर तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में नई प्रौद्योगिकियां चुनौतियां और उनके समाधान दोनों लेकर आएंगी। मोदी ने कॉरपोरेट गवर्नेंस और प्रॉफिट शेयरिंग के मामले में भारतीय उद्योग को सर्वोत्तम तरीके को अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा । (Wikimedia Commons )
जबकि किसान नए कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, उसी समय में मोदी ने उद्योग और एसोचैम से विश्व स्तर पर भारतीय कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि हाल में हुए कृषि सुधारों ने लाभ देना भी शुरू कर दिया है। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने टाटा संस के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा को 'एसोचैम एंटरप्राइज ऑफ द सेंचुरी अवार्ड' भी दिया। (आईएएनएस)