केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून के विरोध में दिल्ली के बॉर्डरों पर बैठे किसान हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। इसी बीच एक ऐसी खबर आई है जो अत्यंत शर्मनाक हैं। और उससे भी शर्मनाक यह है कि हत्या करने का वीडियो बनाया गया और उसे जारी भी किया गया। आप सबको याद होगा एक समय होता था जब आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन हत्या करने का वीडियो बनाकर जारी करते थे और हत्या करने की जिम्मेदारी भी लेते थे इसी तरह के कृत करने की कोशिश हमारे देश भारत में हुई है। अगर इसे अभी नहीं रोका गया तो ऐसी वारदातें और बढ़ सकती हैं।
अब आपको विस्तार से पूरी घटना बताते हैं। शुक्रवार को सिंधु बॉर्डर पर 35 साल के युवक जिसका नाम लखबीर सिंह है उसका मृत शव मिला। वह एक दलित मजदूर था। लखबीर सिंह की हत्या इतनी बर्बरता से की गई थी कि उसका एक हाथ और एक पैर कटा हुआ पाया गया और सबसे जरूरी बात यह की शव संयुक्त किसान मोर्चा के मंच के पास से मिला था। जिस कारण किसान आंदोलन और किसान नेताओ का कटघरे में खड़े होना तो तय हैं।
कुछ समय बाद एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें दावा किया जा रहा था कि शख्स ने यहां पवित्र गुरु ग्रंथ साहब के पावन स्वरूप की बेअदबी करने कोशिश की जैसे ही यह बात निहंगों को पता चली तो उन्होंने शख्स को पकड़ लिया और घसीटते हुए निहंगों ने शख्स को मंच के पास ले गए जहां निहंग ने शख्स से पूछा कि उसे किसने भेजा है और कितने रुपए दिए हैं और उसके गांव का क्या नाम है? इसी बीच निहंगों ने उसका एक हाथ काट दी। और गौर करने वाली बात यह है कि निहंगो ने यह बात वीडियो में स्वीकार भी कर रहे हैं कि इस शख्स का हाथ व पैर उन्हीं ने काटे है।
शव मिलने के बाद हरियाणा पुलिस ने कार्यवाही शुरू कर दी और हरियाणा पुलिस ने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है जबकि दो लोगों ने सरेंडर कर दिया है यह दोनों निहंग हैं। आश्चर्य की बात यह है कि हत्या में शामिल एक निहंग नारायण सिंह को उसके गाँव वालों ने फूलों और रुपए की मालाएँ पहनाईं और उसके समर्थन में नारे लगाए। यह क्या दर्शाता है? और किसकी मानसिकता दर्शाता है? यह आपको पता है। यह हत्या संयुक्त किसान मोर्चा के मंच के पास हुई है तो किसान आंदोलन और किसान नेताओं पर सवाल उठना चाहिए ना कि निहंगो के कारण संपूर्ण सिख धर्म पर।
इस हत्या पर किसान नेता राकेश टिकैत सरकार को दोष देते हुए आपत्तिजनक एवं बेतुका बयान दिया कि, "निहंगों ने कहा कि यह एक धार्मिक मामला है और सरकार को इसे किसानों के विरोध से नहीं जोड़ना चाहिए। हम उनसे बात कर रहे हैं। अभी हमे उनकी यहां जरूरत नहीं है। सरकार स्थिति को खराब कर सकती है। सरकार ने साजिश को अंजाम दिया।" राकेश टिकैत ने कहा कि अभी उन्हें निहंगो की जरूरत नहीं है जब जरूरत होगी तो बुला लिया जाएगा तो अब प्रश्न उठता है जब निहंगो की जरूरत नहीं थी तो संयुक्त किसान मोर्चा के मंच के पास निहंग क्या कर रहे थे? क्या इसका जवाब राकेश टिकैत देंगे यह सरकार पर ही दोषारोपण कर देंगे।
अंततः यही कहा जा सकता है कि अगर ऐसी वारदातें नहीं रुकी तो देश की स्थिति सही नहीं होगी जिसके लिए सरकार को इन हत्यारों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। और एक खास बात इन निहंग सिखों के कारण संपूर्ण सिख समाज को दोष देना भी सही नहीं है लेकिन किसान आंदोलन पर और किसान नेताओं से सवाल पूछना बिल्कुल लाजमी है।
Input: Various Source; Edited By: Lakshya Gupta