भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपने रेगुलेटरी फंक्शंस की आंतरिक समीक्षा के लिए नए नियामक समीक्षा प्राधिकरण (आरआरए 2.0) के गठन का फैसला किया है। आरबीआई ने एक साल की अवधि के लिए नए नियामक समीक्षा प्राधिकरण यानी रेगुलेशन रिव्यू अथॉरिटी की स्थापना का फैसला किया है।
यह आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड कंपनियों और दूसरे स्टेकहोल्डर्स से सलाह लेकर आरबीआई के नियमों को सरल बनाएगा और उनका कार्यान्वयन आसान और प्रैक्टिकल बनाएगा।
यह रिव्यू अथॉरिटी एक साल के लिए गठित होगी, जो 1 मई, 2021 से प्रभावी हो जाएगी। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर राजेश्वर राव को रेगुलेशन रिव्यू अथॉरिटी का प्रमुख नियुक्त किया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेगुलेशन रिव्यू अथॉरिटी की स्थापना का फैसला किया है। (Wikimedia Commons)
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा कि पिछले दो दशकों में अपने नियामक कार्यों के विकास और नियामक परिधि के विकास पर विचार करते हुए, उन्हें व्यवस्थित और तर्कसंगत बनाने के लिए नियमों और अनुपालन प्रक्रियाओं की एक समान समीक्षा करने का प्रस्ताव है। साथ ही उन्हें और अधिक प्रभावी बनाना है।
आरआरए 2.0 नियामक निर्देशों को सुव्यवस्थित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा, प्रक्रियाओं को सरलीकृत करके विनियमित संस्थाओं के अनुपालन बोझ को कम करेगा, और जहां भी संभव हो, रिपोर्टिग की जरूरतों को कम करेगा।
नियामक समीक्षा प्राधिकरण रेगुलेटेड संस्थानों से फीडबैक लेगा और आरबीआई के सर्कुलर और आदेशों को प्रसारित करने की प्रक्रिया को जांचने और दुरुस्त बनाने का काम करेगा।
इसके साथ ही इसका काम रेगुलेटेड एंटिटीज को पेपर बेस्ड रिटर्न फाइल करने के लिए हतोत्साहित करना होगा और उन्हें ऑनलाइन डिजिटल रिटर्न फाइल करने के लिए बढ़ावा देना होगा| (आईएएनएस-SM)