रामधारी सिंह दिनकर की एक पंक्ति काफी प्रसिद्ध है, वह यह है कि 'दो न्याय अगर तो आधा दो', क्या न्याय सबके नसीब में है? क्या हर कोई इसे पा सकता है? यदि आपका जवाब हाँ! है, तब आप एक भ्रम में हैं क्यूंकि लोगों (ज्यादातर महिलाऐं) को खोखले रसूख की वजह से या तो जान गवानी पड़ती है या फिर उनका सर मुंडवा कर और नग्न अवस्था में बाजार में घुमाया जाता है।
कुछ ऐसा ही हुआ है रांची, झारखंड में जहां एक महिला को डायन बताकर प्रताड़ना दी गई। पीड़ित को पंचायत बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया और उस पर काला जादू करने का आरोप लगाया गया। उस पर यह भी आरोप लगाया गया कि उसकी वजह से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई है। पंचायत के सदस्यों ने निर्णय लिया कि महिला का सिर मुंडवाया जाए और उसे गांव में निर्वस्त्र घुमाया जाए। जब इससे भी मन नही भरा तब पीड़ित पर 500 रूपये का जुर्माना भी लगाया गया।
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यह घटना आज की पैदाइश नहीं है और न ही इसके पीछे किसी बड़े गिरोह का हाथ है, इस घटना में शामिल सभी लोग स्थानीय हैं और पीड़ित के जानने वाले हैं। मगर अंधविश्वास और कानून का डर न होने का कारण ही ऐसी घटनाओं को बढ़ावा देती हैं।
इस मामले में छह महिलाओं समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया और आश्चर्य की बात यह है कि इस घटना में मुख्य भूमिका महिलाओं की रही।
न्याय के नाम पर ऐसी घिनौनी प्रताड़ना को रोकना एक चुनौती का रूप ले चुकी है, ऐसा इस लिए कि पुलिस के डाटा के अनुसार, झारखंड के निर्माण के बाद से करीब 1200 लोगों (ज्यादातर महिलाएं) को काला जादू का अभ्यास करने का आरोप लगाकर मौत के घाट उतार दिया गया है।
स्त्रोत- आईएएनएस