न्यूज़ग्राम हिन्दी: Chanakya Niti अपने आप में समाज के नींव के समान है जिसकी प्रासंगिकता प्राचीन काल के साथ-साथ आज भी उतनी ही है। यही कारण है कि आज भी व्यक्ति यदि इन विचारों को अपने जीवन में चरितार्थ करे तो वह एक उत्तम जीवन जीने का हकदार बन सकता है।
विद्यार्थी समाज का एक अभिन्न अंग ही नहीं बल्कि समाज का भविष्य होते हैं। ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि विद्यार्थियों को किस प्रकार का जीवन यापन करना चाहिए जिससे कि वह स्वयं के व्यक्तित्व के साथ-साथ समाज को भी विकसित कर सके। आइए पढ़ते हैं Chanakya Niti से वो नीतियाँ जिसको अपनाकर विद्यार्थी जीवन में सफलता के शिखर को पा सकते हैं।
अपने काम को समय पर पूरा करने के साथ-साथ उसे क्रमबद्धता के साथ पूरा करना भी जरूरी है। ऐसे में विद्यार्थियों का समय के साथ कदम से कदम मिला कर चलना अनिवार्य है। यदि वो इस तरह से चलें तो उसे कभी भी असफलता का चेहरा नहीं देखना पड़ेगा।
इतिहास इस बात का साक्षी है कि जो भी व्यसन में लिप्त हुआ है वह समूल नष्ट हुआ। ऐसे में विद्यार्थियों के लिए जरूरी है कि वो अपने स्वर्णिम भविष्य के लिए नशे आदि से दूरी बनाकर ही आगे बढ़ें।
भगवद्गीता की तरह ही चाणक्य नीति भी स्वयं के संयम पर बात करती है। जो भी स्वयं को अनुशासन की परिधि में बांध कर चलता है, वह सदा ही सफलता के ऊंचाइयों को छूता है। और यह सही भी है, हम समाज को प्रेरणा तभी दे सकते हैं जब हम स्वयं संयम के दायरे में रहें।
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विद्यार्थी ही नहीं सामान्य इंसान के जीवन में भी आलस्य का स्थान तो कभी होना ही नहीं चाहिए। चाणक्य नीति ही नहीं बल्कि शस्त्र भी इसका समर्थन करते हैं कि आलस से बाद हमारा शत्रु कोई नहीं। यह धीमे-धीमे व्यक्तित्व को कब खोखला कर जाती है, इसका पता स्वयं व्यक्ति को भी नहीं चलता।
उपर्युक्त चार बिन्दुओं को अपनाकर विद्यार्थी अपने लक्ष्य को सरलता से प्राप्त कर सकते हैं।
Edited By: Prashant Singh