Rajesh Khanna : राजेश खन्ना ने इस फिल्म के फीस के तौर पर एक रुपये भी चार्ज नहीं किए थे। (Wikimedia Commons) 
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इस फिल्म के लिए राजेश खन्ना ने नहीं लिया एक भी रूपए, खुद ही किया अप्रोच

इस फिल्म की कहानी सुनते ही उन्होंने फीस लेने से इनकार कर दिया था। मात्र 28 दिनों में फिल्म की शूटिंग पूरी हो गई थी।

न्यूज़ग्राम डेस्क

Rajesh Khanna : हिंदी सिनेमा में साल 1971 में एक फिल्म आई, ये वो समय था जब राजेश खन्ना की फिल्मों का लोग आंख टिकाए इंतजार करते थे। ऐसे तो वो बड़ी फीस के कारण सिर्फ बड़े बजट वाली फिल्में ही साइन करते थे लेकिन साल 1971 में आई 30 लाख के बजट में बनी इस फिल्म की कहानी सुनते ही उन्होंने फीस लेने से इनकार कर दिया था। मात्र 28 दिनों में फिल्म की शूटिंग पूरी हो गई थी इसके बाद जब फिल्म रिलीज हुई तो वह इस फिल्म से और भी ज्यादा मालामाल हो गए। आइए जानते हैं की ऐसा क्या था इस फिल्म में।

राजेश खन्ना जैसा स्टारडम दोबारा इंडस्ट्री के किसी स्टार को हासिल नहीं हुआ। उनकी फिल्मों को हिंदी में ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी काफी पसंद किया जाता था। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म जो 1971 में आई। उसका नाम 'आनंद' था, जो एक सच्ची घटना पर आधारित था। एक्टर रमेश देव ने बताया कि राजेश खन्ना ने इस फिल्म के फीस के तौर पर एक रुपये भी चार्ज नहीं किए थे।

'आनंद' की शूटिंग 28 दिन में पूरी हो गई थी। (Wikimedia Commons)

राजेश खन्ना ने खुद किया अप्रोच

ऋषिकेश मुखर्जी को आनंद का कहानी का विचार तब आया, जब राज कपूर बीमार पड़ गए थे। एक बार डायरेक्टर ऋषि मद्रास से मुंबई फ्लाइट से जा रहे हैं। उसमें धर्मेंद्र भी था। उन्होंने फिल्म की कहानी पहले धर्मेंद्र को सुनाया था, लेकिन बाद में राजेश खन्ना के साथ शूटिंग शुरू कर दी थी। जब धर्मेंद्र ने उनसे पूछा की वह राजेश खन्ना को क्यों लिए तब उन्होंने बताया कि जब राजेश को पता चला कि ऋषि के पास बहुत अच्छी कहानी है, तो उन्होंने उनको अप्रोच किया। तब ऋषि ने उनसे थोक में डेट्स देने के लिए कहा ऐसा इसलिए, क्योंकि एक्टर उस वक्त बहुत व्यस्त थे।

थिएटर्स में बैठे लोग हो गए इमोशनल

'आनंद' की शूटिंग 28 दिन में पूरी हो गई थी। फिल्म इतिहासकार दिलीप ठाकुर ने बताया कि राजेश खन्ना हर दिन दो घंटे के लिए 'आनंद' की शूटिंग के लिए आएंगे। फिर चाहे वह कहीं भी अपनी दूसरी मूवी की शूटिंग कर रहे हों। फिल्म की कहानी जब दर्शकों तक पहुंची तब थिएटर्स में बैठे लोग भी इमोशनल हो गए और थियेटर्स में ही रो पड़े थे। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस फिल्म की कहानी जिंदगी और मौत के बीच की कहानी है जो दर्शकों के दिलों पर ऐसी छाप छोड़ी थी लोगों के आंखों से आंसू निकल आए थे।

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