न्यूज़ग्राम हिंदी: Karman Line, एक ऐसा शब्द है जिसे वैज्ञानिक अपनी भाषा में उस सीमा के लिए प्रयोग करते हैं जो पृथ्वी (Earth) और अंतरिक्ष (Space) के बीच स्थित है। सदियों से यह एक कौतुहल का विषय रहा है कि कहाँ पर पृथ्वी की सीमा समाप्त होती है और कहाँ से अंतरिक्ष का विस्तार प्रारंभ हो जाता है? तो आइये जानते हैं Karman Line के बारे में।
कारमन लाइन (Karman Line) वैसे तो कोई रेखा नहीं है बल्कि एक क्षेत्र है, जिसे एफएआई (FAI) ने पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच की एक सीमा के रूप में परिभाषित किया है। यहाँ बता दें की एफएआई एक ऐसी संस्था है जो एयरोनॉटिक्स और सम्बंधित विषयों का रिकॉर्ड्स रखती है।
दरअसल nationalgeographic.com में छपी एक खबर से पता चलता है कि जिस तरह से दुनिया में प्रतिदिन अंतरिक्ष विज्ञान (Space Science) प्रगति कर रहा है, जैसे, NASA दुसरे ग्रहों पर जीवन खोजने में लगा हुआ है, स्पेस टूरिज्म का कौतुहल भरा विषय काफी चर्चा में है, जिसके लिए वर्जिन गैलेटिक जैसी कंपनियों ने तो तयारी भी कर ली है। ऐसे में अपने वायुमंडल के विस्तार को समझना हमारी प्राथमिकता है और Karman Line की परिभाषा को लाना आवश्यक है।
बचपन से ही हम पढ़ते आ रहे हैं कि वायुमंडल (Atmosphere) में पृथ्वी सतह से 13 किलोमीटर तक के विस्तार को ट्रोपोस्फीयर (Troposphere) कहते हैं जिसके बाद स्ट्रेटोस्फियर (Stratosphere) का क्षेत्र आरम्भ हो जाता है। इन विभिन सतहों से बने वायुमंडल में अब भी यह प्रश्न बना ही रहता है कि वह सीमा कौन सी है जिसके आगे अंतरिक्ष आरम्भ हो जाता है? ऐसे में वैज्ञानिकों ने कारमन लाइन (Karman Line) को परिभाषित करके बताया है की यह वही सीमा है जिसके पार जाने के बाद यह मान लिया जाता है कि हम पृथ्वी से बहार अंतरिक्ष में प्रवेश कर गए हैं।
1957 में एक हंगरी-अमेरिकी वैज्ञानिक ने इस रेखा को परिभाषित करने का प्रयास किया था, जिनका नाम थियोडोर वॉन कारमन (Theodore Von Kamran) था। अब उन्हीं के नाम पर वैज्ञानिकों ने इसे परिभाषित किया है। हाइपरसोनिक एयरफ्लो, सुपरसोनिक स्पीड और एयरोडॉयनमिक्स (Aerodynamics) जैसे विषयों के साथ-साथ जेट विमानों में नवाचार पर काम करने वाले इस वैज्ञानिक ही की देन है कि आज 21 वीं सदी में, स्पेस सेक्टर एक बड़ी इंडस्ट्री बन चुकी है।