जलवायु परिवर्तन (Climate Change) पर संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (सीओपी27) मिस्र (Egypt) के तटीय शहर शर्म अल-शेख में शुरू हो गया है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार मिस्र के विदेश मंत्री और सम्मेलन के अध्यक्ष समेह शौकी ने रविवार को उद्घाटन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि वह यह देखकर खुश हैं कि सभी सदस्य देश जलवायु को हो रहे नुकसान के समाधान के लिए सहमत हैं। शौकरी ने कहा कि मामले में गुणात्मक छलांग की जरूरत है। सभी को मिलकर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करना होगा।
संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की जलवायु वार्ताओं में नुकसान और क्षति शब्द का तात्पर्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, जैसे समुद्र के बढ़ते स्तर, अत्यधिक गर्मी से है।
मिस्र के राजनयिक ने कहा कि वर्तमान वैश्विक भू-राजनीतिक (Geo-Politics) स्थितियों के कारण कई प्रकार की समस्याएं पैदा हुई हैं, जिन्हें संभालने की आवश्यकता है, ताकि वे जलवायु परिवर्तन से निपटने से संबंधित प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने को प्रभावित न करें।
शौकरी ने कहा कि अफ्रीकी महाद्वीप के देश जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से अधिक जूझ रहे हैं। उन्होंने इस चुनौती का सामना करने की इच्छाशक्ति भी दिखाई है, लेकिन उन्हें समर्थन व सहयोग की आवश्यकता है।
विदेश मंत्री ने सम्मेलन के एजेंडा को अंतिम रूप देने के लिए दिन में एक बैठक की अध्यक्षता की। इसमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल होने, इसके नकारात्मक नतीजों को कम करने और संकट का सामना कर रहे देशों को आर्थिक सहयोग प्रदान करने पर चर्चा हुई।
बैठक के दौरान शौकरी ने दो सप्ताह के सम्मेलन के दौरान जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों का सामना करने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में 190 से अधिक देशों के 40,000 से अधिक प्रतिभागी और दर्जनों अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठन एक साथ चुनौतियों के समाधान का रास्ता तलाश करेंगे।
इस बीच मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल-फतह अल-सीसी ने कहा कि सीओपी27 (COP27) एक बहुत ही संवेदनशील विषय पर आयोजित हो रहा है।
सिसी ने अपने फेसबुक पेज (Facebook page) पर एक आधिकारिक बयान में कहा, इसमें कोई संदेह नहीं है कि इन खतरों और चुनौतियों के लिए सभी देशों द्वारा त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है, ताकि एक बचाव रोडमैप तैयार किया जा सके जो दुनिया को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाए।
राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश उम्मीद कर रहा है कि जलवायु सम्मेलन में किए गए वादों का क्रियान्वयन होगा।
इस बीच मिस्र के प्रधानमंत्री मुस्तफा मदबौली ने ग्रीन जोन का उद्घाटन किया, जो इस मौके पर होने वाले कई कार्यक्रमों और गतिविधियों का गवाह बनेगा।
उन्होंने समझाया कि ग्रीन जोन को आवंटित क्षेत्र पिछले जलवायु शिखर सम्मेलन की तुलना में बहुत बड़ा है।
मदबौली ने सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान कहा कि मिस्र इस शिखर सम्मेलन में अफ्रीका (Africa) महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करता है, जो पहली बार 'अफ्रीका दिवस' के आवंटन का गवाह बनेगा। यह आयोजन अफ्रीकी युवाओं और काले महाद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाली सभी संस्थाओं के विचारों पर चर्चा करेगा।
उन्होंने जोर देकर कहा कि जहां अफ्रीकी महाद्वीप जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक परिणामों से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है, वहीं अफ्रीकी देशों ने दुनिया की ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gases) का केवल 4 प्रतिशत ही उत्सर्जित किया है।
उन्होंने कहा कि अफ्रीका में सम्मेलन का आयोजन दुनिया को स्पष्ट संदेश है कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अफ्रीका को बहुत समर्थन व सहयोग की आवश्यकता है।
शिखर सम्मेलन का समापन 18 नवंबर को होगा।
आईएएनएस/RS