छत्तीसगढ़ सरकार का आयुष विभाग आयुर्वेद (Ayurveda) के सबसे शक्तिशाली और प्राचीन सूत्रों में से एक ‘त्रिकटु’ को सौ मर्ज की एक दवा बताता है। रसोई में मौजूद सिर्फ तीन मसालों से तैयार यह चूर्ण पाचन शक्ति को जागृत करने से लेकर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तक कई बड़े काम करता है। इसे आयुर्वेद में 'अग्निदीपक' की संज्ञा दी गई है।
त्रिकटु का अर्थ है तीन तीखी औषधियां सोंठ (सूखी अदरक), काली मिर्च और पिप्पली। ये तीनों मिलकर शरीर की जठराग्नि (पाचन अग्नि) को प्रज्वलित करती हैं, जिससे खाना अच्छी तरह पचता है और शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं।
सोंठ (सूखी अदरक) आवाज को साफ करती है, गले की खराश दूर करती है और शरीर में सूजन को कम करने में बेहद कारगर है। सर्दी-खांसी में तुरंत राहत देती है। वहीं काली मिर्च शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है। यह फेफड़ों को साफ करती है और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है। पिप्पली मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को तेज करती है, वजन नियंत्रण में सहायक है और श्वसन तंत्र को मजबूत बनाती और अस्थमा, पुरानी खांसी में भी लाभ मिलता है।
त्रिकटु न केवल पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है बल्कि सर्दी, खांसी, अस्थमा, मोटापा (Obesity), सुस्ती, बार-बार बीमार पड़ना और कमजोरी जैसी कई समस्याओं में रामबाण की तरह काम करता है। यह शरीर के तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ को संतुलित करने में भी सहायक है।
आयुर्वेदाचार्य त्रिकटु के सेवन की विधि भी बताते हैं। आधा चम्मच त्रिकटु चूर्ण को गुनगुने पानी या शहद के साथ सुबह खाली पेट लें। रात को सोते समय गर्म दूध के साथ लेने से खांसी और बलगम में तुरंत आराम मिलता है। डॉक्टर की सलाह के अनुसार त्रिकटु की मात्रा बढ़ाई-घटाई जा सकती है। इसे घर पर ही समान मात्रा में सोंठ, काली मिर्च और पिप्पली मिलाकर आसानी से बनाया जा सकता है।
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