Char dham Yatra 2024 : 10 मई से उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है। शुरू होते ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। सामान्यतः लोग यहां के चार धामों की यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा करते हैं। इसके लिए उन्हें रजिस्ट्रेशन भी करवाना पड़ता है। चूंकि ये यात्रा हाई अल्टीट्यूड पर ही ज्यादा होती है, इसलिए लोगों को हृदय संबंधी दिक्कतों से भी जूझना होता है। हृदय संबंधी परेशानी वाले लोगों को इन यात्राओं से बचने की सलाह दी जाती है क्योंकि कभी - कभी हाई अल्टीट्यूड वाली जगहें दिल संबंधी बीमारियों वालों के लिए जानलेवा भी बन जाती हैं।
चार धाम यात्रा गढ़वाल हिमालय में ऊंचाई पर होती है, चार धाम यात्रा के दौरान यमुनोत्री (3,291 मीटर), गंगोत्री(3,415 मीटर), केदारनाथ (3,553 मीटर), बद्रीनाथ (3,300 मीटर) की यात्रा की जाती है, जो भारतीय सेना के हाई अल्टीट्यूड वाले पैरामीटर्स के आधार पर ये सारी जगहें हाई अल्टीट्यूड एरिया हैं।
अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आमतौर पर तापमान काफी ठंडा होता है और ज्यादा बारिश होती है, साथ ही तेज हवाएं भी चलती हैं। ऐसे क्षेत्रों में कम वायु दबाव होता है और हवा में ऑक्सीजन का स्तर भी कम होने लगता है। ऐसे में कई तरह के दिशा निर्देश का पालन करके ये यात्रा तय किया जा सकता है। जैसे - धीरे-धीरे चढ़े फिर एक दिन में कम ऊंचाई से सीधे 9,000 फीट (2,750 मीटर) से ऊपर जाने से बचें। इसके बाद एक बार 9,000 फीट (2,750 मीटर) से ऊपर सोने की ऊंचाई को प्रतिदिन 1,600 फीट (500 मीटर) से अधिक नहीं बढ़ाएं और प्रत्येक 3,300 फीट (1,000 मीटर) पर अनुकूलन के लिए एक अतिरिक्त दिन की योजना बनाएं।
जब आप अधिक ऊंचाई पर होते हैं, तो पतली हवा के कारण आपके फेफड़ों को कम ऑक्सीजन प्राप्त होती है। यह आपके फेफड़ों और हृदय पर इसलिए ज्यादा जोर बढ़ा देता है क्योंकि आपके शरीर के बाकी हिस्सों को भी लगातार ऑक्सीजन युक्त रक्त की जरूरत होती है। जिसकी मात्रा पर अशर पड़ने लगता है। इसी कारण बहुत अधिक ऊंचाई पर बहुत से स्वस्थ लोगों को भी चक्कर आना, सिरदर्द और थकान जैसे दिक्कतें होने लगती हैं। ऐसे में यदि आप किसी हृदय संबंधी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या का अनुभव करते हैं तो अधिक ऊंचाई का आपके शरीर पर और भी अधिक प्रभाव पड़ सकता है। कई बार इन्हीं कारणों से लोग अपना जान गवां बैठते हैं।