Alop Shankari Mandir: अलोपी देवी मंदिर को अलोपशंकरी शक्तिपीठ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है (Wikimedia Commons)
Alop Shankari Mandir: अलोपी देवी मंदिर को अलोपशंकरी शक्तिपीठ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है (Wikimedia Commons) 
सैर-सपाटा

अलोपी देवी मंदिर में गिरा था माता सती का पंजा, नवरात्रि में यहां लगती है भक्तों की भीड़

न्यूज़ग्राम डेस्क

Alop Shankari Mandir : 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है। नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। ऐसे मौके पर भक्त मंदिर जाकर मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं। पूरे देश भर में 51 प्रमुख देवी शक्तिपीठ स्थित हैं। जहां नवरात्रि के दिनों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। ऐसे में प्रयागराज की बात करें तो यहां तीन प्रमुख शक्ति पीठ स्थित हैं, जिनमें से एक अलोप शंकरी देवी मंदिर है। आज हम आपको अलोप शंकरी देवी मंदिर की महिमा के बारे में बताएंगे।

यहां गिरा था माता सती का पंजा

अलोपी देवी मंदिर को अलोपशंकरी शक्तिपीठ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि प्रयागराज के इस स्थान पर देवी सती के हाथ का पंजा कटकर गिरा लेकिन उनका पंजा यहां के एक कुंड में गिरते ही वो अलोप यानी गायब हो गया। तबसे इस मंदिर का नाम अलोपशंकरी रखा गया। अलोप का अर्थ गायब होता है और शंकरी मां पार्वती को ही कहा जाता है। मंदिर को ललिता मंदिर और महादेवेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। प्रयागराज के अलोपीबाग में ये शक्तिपीठ मौजूद है, उसका नाम भी इसी मंदिर की प्रसिद्धि के नाम पर रखा गया है।

नवरात्र के खास मौके पर यहां भव्य कार्यक्रम होते हैं और मेला भी लगता है।(Wikimedia Commons)

यहां पालने की होती है पूजा

इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि मंदिर में किसी मूर्ति की जगह एक लकड़ी के पालने यानी डोली की पूजा की जाती है। इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों में से एक कहा जाता है। मंदिर प्रांगण में एक कुंड के ऊपर चांदी का प्लेटफॉर्म यानी चबूतरा बना होता है जिस पर पालना लटकता रहता है, यह दस फीट चौड़े कुंड पर लटका हुआ है। यहां भक्त रक्षा सूत्र बांधकर देवी से सुरक्षा की मनोकामना मांगते हैं। नवरात्र के खास मौके पर यहां भव्य कार्यक्रम होते हैं और मेला भी लगता है।

कैसे पहुंचें यहां

यह मंदिर नवरात्रि में सुबह 5:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक खुला रहता है। यहां आने के लिए आपको सिविल लाइन बस स्टैंड से चुंगी के लिए ऑटो या शेयर्ड टैक्सी पकड़ना पड़ता है। इस मंदिर के आसपास देवी को चढ़ाने के लिए पूजा की सभी सामग्री मिल जाती है।

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