कुछ ही हफ्ते पहले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में कई बच्चों की मौत के बाद यह मामला सामने आया, जिससे पूरे देश में चिंता बढ़ गई।
डब्ल्यूएचओ (WHO) की जांच में पाया गया कि कोल्ड्रिफ सिरप में एक जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) Deithylene Glycol (DEG) बहुत अधिक मात्रा में मिला है। बता दें कि डीईजी (DEG) एक ऐसा केमिकल है जो शरीर के लिए बेहद नुकसानदायक होता है। यह किडनी और लिवर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है और बच्चों के लिए यह जानलेवा साबित हो सकता है।
कोल्ड्रिफ सिरप में इस रसायन की मात्रा 48% से भी ज्यादा पाई गई, जबकि सुरक्षित मात्रा केवल 0.% तक होनी चाहिए।
कोल्ड्रिफ के अलावा दो और सिरप भी डब्ल्यूएचओ की चेतावनी में शामिल हैं। पहली रेडनेक्स फार्मास्युटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर RespifreshTR (Rednex Pharmaceuticals) और दूसरी शेप फार्मा की रीलाइफ ReLife (Shape Pharma)। डब्ल्यूएचओ ने सभी देशों से अपील की है कि अगर ये सिरप किसी भी देश में मिलते हैं तो इसकी जानकारी तुरंत डब्ल्यूएचओ को दें, ताकि समय रहते कार्रवाई की जा सके।
कोल्ड्रिफ सिरप को लेकर जब जांच हुई, तो श्रीसन फार्मास्युटिकल्स (Srisan Pharmaceuticals) की दवा बनाने की अनुमति सरकार ने तुरंत रद्द कर दी। साथ ही कंपनी (Company) के मालिक जी. रंगनाथन (G. Ranganathan) को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद तमिलनाडु (Tamil Nadu राज्य में सभी दवा कंपनियों की फैक्ट्रियों की गहन जांच (Investigation) शुरू कर दी गई है, ताकि यह देखा जा सके कि कहीं और भी गुणवत्ता में कोई लापरवाही (Negligence) तो नहीं बरती जा रही।
मध्य प्रदेश में बच्चों की मौतों के बाद हरकत में आई केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक एडवाइजरी (Advisory) जारी की। इस सलाह में कहा गया है कि दो साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप (cough syrup) बिल्कुल न दिया जाए। इसके अलावा, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी ऐसे सिरप केवल जरूरत होने पर ही दिए जाएं। सरकार ने डॉक्टरों और फार्मेसियों (Pharmacies) को चेतावनी दी है कि बच्चों के लिए दवाइयों को बहुत सावधानी से लिखें और बेचें।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों (Health Experts) का कहना है कि यह घटना (Tragedy) देश की दवा कंपनियों की निगरानी प्रणाली (Monitoring System) में बड़ी खामी को उजागर करती है। उनका मानना है कि अब समय आ गया है कि भारत में दवा बनाने की प्रक्रिया पर सख्त नियंत्रण रखा जाए और हर बैच की कड़ी जांच (Rigorous Testing) की जाए।
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