नवरात्र 2022 : कब करें घटस्थापना , क्या है शुभ मुहूर्त ?
नवरात्र 2022 : कब करें घटस्थापना , क्या है शुभ मुहूर्त ?  Wikimedia
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नवरात्र 2022 : कब करें घटस्थापना , क्या है शुभ मुहूर्त ?

न्यूज़ग्राम डेस्क

कल से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का शुभारंभ हो रहा है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विषेष महत्व माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री माता की पूजा अर्चना की जाती है। सोमवार को प्रतिपदा तिथि यानि कि नवरात्र का पहला दिन है। नवरात्र की शुरूआत पहले दिन अखंड ज्योति और कलश स्थापना के साथ होती है। नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

नवरात्र कब से कब तक

पितृपक्ष खत्म होने के बाद होगा शारदीय नवरात्र का शुभारंभ। इस साल शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरू हो कर 5 अक्टूबर तक रहेंगे यानी कि दशहरा के दिन ही समाप्त होंगे नवरात्र।

कब है प्रतिपदा तिथि एवं घटस्थापना मुहूर्त

शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि सोमवार, 26 सितंबर सुबह 03 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ होगी और मंगलवार, 27 सितंबर सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर इसका समापन होगा। शारदीय नवरात्रि 2022 घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से शुरू होकर सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगा। जो लोग किसी कारणवश तय मुहूर्त पर घटस्थापना नहीं कर पाए, वो अभिजीत मुहूर्त में भी ये कार्य कर सकते हैं। अभिजीत मुहूर्त का समय इस दिन सुबह 11 बजकर 54 मिनट से लेकर 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।

क्या है कलश स्थापना की विधि

पहले दिन घटस्थापना के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।

सबसे पहले कलश को गंगा जल से भर ले। उसके मुख पर आम या अशोक की पत्तियां लगाएं और ऊपर नारियल रखें। इसके बाद कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावे के माध्यम से उसे बांधे ले। फिर इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें। फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें। अब पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। इसके साथ ही मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, एवं प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं। धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें। माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।

(HS)

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