न्यूजग्राम हिंदी: आप लोगों ने इतिहास (History) की बहुत सी किताबें पढ़ी होगी। इनमें आपने बहुत से देशों के बहुत से राजाओं के बारे में पढ़ा होगा। लेकिन क्या आपने कभी किंग मेकर के बारे में पढ़ा है किंग मेकर (King Maker) वह इंसान होते हैं जो किसी राजा को गद्दी पर बैठने में मदद करने में सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। आज के इस लेख में हम आपको ऐसे ही दो किंग मेकर भाईयों के बारे में बताएंगे जिन्हें दुनिया सैयद बंधुओं के नाम से जानते हैं।
यह दो भाई सैयद हसन अली खान (Syed Hasan Ali Khan) और सैय्यद हुसैन अली खान (Syed Hussain Ali Khan) थे। इन दोनों भाइयों का महत्व में मुगल (Mughal) सल्तनत में औरंगजेब (Aurangzeb) की मृत्यु हो जाने बाद बढ़ा। यह 1707 की बात हैं जब इन दोनों भाइयों ने अघोषित शासक के रूप में शासन किया। यह दोनों ही भाई सैनिक वर्ग से थे और इन्हें इस बात का ज्ञान अच्छे से था कि दुश्मनों से कैसे निपटा जाता है या कैसे दुश्मनों का सामना करना है। जब मराठा शासकों का खौफ औरगंजेब के सिर चढ़कर बोल रहा था तो 1798 में औरगंजेब ने मराठाओं के विस्तार को रोकने के लिए इन दोनों भाइयों को खानदेश का सूबेदार घोषित कर दिया यानी की सैय्यद बंधु अब खानदेश के सूबेदार थे। औरंगज़ेब के शासन के दौरान हुसैन अली खान अजमेर, रणथंबोर और हिंडोन-बायना का प्रभारी था।
1712 में बहादुर शाह प्रथम की मृत्यु हो जाने के बाद मुगल सल्तनत के अगले उत्तराधिकारी जहांदार शाह बने। जिन्हें सैयद बंधुओं ने मरवा दिया और उन्हीं के भतीजे फर्रुखसियर को बादशाह बना दिया। इसके बाद 1719 में उसके चेचरे भाई रफी उद-दराजत (Rafi ud-Darajat) को बादशाह बनाने के लिए फर्रुखसियर को भी मरवा दिया। बीमारी के कारण रफी की मृत्यु हो गई और 1720 में सैयद बंधुओं द्वारा मुगल शहजादे मुहम्मद शाह को गद्दी पर बैठाया गया। निजाम-उल-मुल्क ने 9 अक्टूबर, 1720 को सैय्यद हुसैन अली खान की हत्या कर दी जिससे इन बंधुओं का प्रकोप कम हुआ। हुसैन को मारने के बाद निजाम ने हसन को युद्ध में हराने के बाद कैद कर लिया।