Indore -बीते अक्टूबर माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर विवाह को कानूनी मान्यता दे दी गई।(Wikimedia Commons) 
अन्य

प्यार में सब कुछ है जायज, लड़की ने जेंडर बदलकर कर ली शादी

कई लोग खुल कर अपने लिंग को मान रहे है और उसी प्रकार अपना जीवन जी रहे है जैसा वह हमेशा से जीना चाहते थे। अब सुप्रीम कोर्ट ऐसे लोगों के लिए एक रोशनी की किरण बन कर सामने आई है, दरअसल बीते अक्टूबर माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर विवाह को कानूनी मान्यता दे दी गई।

Author : न्यूज़ग्राम डेस्क

Indore - आजकल लोग अपने जेंडर से खुश नहीं होते, बहुत से ऐसे लड़के है जो लड़की बनना चाहते है और लड़कियां लड़का बनना चाहती है, वे खुद चाहे जो भी लिंग के हो लेकिन व्यवहार अलग लिंग की तरह कर रहे होते है कई बार तो कोई कोई समाज के भय से अपना लिंग खुल कर बताने में कतराते है, और कभी कभी तो अपने मनचाहे लिंग जैसा व्यवहार करने पर उन्हें कई प्रकार की खड़ी खोटी भी सुननी पड़ती है, अब तो कई लोग खुल कर अपने लिंग को मान रहे है और उसी प्रकार अपना जीवन जी रहे है जैसा वह हमेशा से जीना चाहते थे। अब सुप्रीम कोर्ट ऐसे लोगों के लिए एक रोशनी की किरण बन कर सामने आई है, दरअसल बीते अक्टूबर माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर विवाह को कानूनी मान्यता दे दी गई।

यह मान्यता मिलने के बाद अब जेंडर चेंज करवाकर शादी की जा सकती है, बशर्ते की इसमें परिवार के लोगों को आपत्ति न हो। ये मान्यता मिलते ही इंदौर में एक ऐसी अनोखी शादी हुई, जिसमें एक अलका नाम की युवती ने पहले अपना जेंडर चेंज करवाया और फिर अस्तित्व बनकर आस्था से शादी की। इंदौर में पहली बार इस तरह की शादी हुई है।

अस्तित्व अलका ने अपने 47वें जन्मदिन पर सर्जरी करवाकर जेंडर स्त्री से पुरुष करवा लिया और अपना नाम अस्तित्व रख लिया। आस्था की अस्तित्व से 5-6 महीने पहले बातचीत शुरू हुई। आस्था ने बताया कि हमने बहुत विचार करने के बाद शादी करने का निर्णय लिया। दोनों परिवारों को भी समस्या नहीं थी। इसके बाद दोनों ने शादी करने के लिए सारी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की और फिर गुरुवार को कानूनी रूप से कोर्ट मैरिज कर लिया।

यह मान्यता मिलने के बाद अब जेंडर चेंज करवाकर शादी की जा सकती है। (Wikimedia Commons)

कैसे होता है ऑपरेशन?

सेक्स चेंज ऑपरेशन से पहले इस बात की पुष्टि होनी ज़रूरी है कि शख़्स को 'जेंडर डिस्फ़ोरिया' है या नहीं।

इसके लिए सायकायट्रिस्ट और साइकोलॉजिस्ट की मदद लेनी पड़ती है। लंबी बातचीत और सेशन्स के बाद सायकायट्रिस्ट इस नतीजे पर पहुंचता है कि मामला 'जेंडर डिस्फ़ोरिया' का है या नहीं। अगर ऐसा है तो ट्रीटमेंट की शुरुआत 'हॉर्मोनल थेरेपी' से की जाती है। यानी जिस हॉर्मोन की ज़रूरत है वो दवाओं और इंजेक्शन के ज़रिए शरीर में पहुंचाया जाता है।ऑपरेशन के लिए कम से कम एक सायकायट्रिस्ट और एक साइकोलॉजिस्ट की मंजूरी भी ज़रूरी है। यह एक लंबी प्रक्रिया है जिसमें तकरीबन 5-6 घंटे लगते हैं। इस दौरान ब्रेस्ट, जननांगों और चेहरे पर काम किया जाता है।

7 दिसंबर का इतिहास: कश्मीर में हिंसा से लेकर सशस्त्र सेना झंडा दिवस तक जानें क्या है ख़ास!

केबीसी में पहुंची भारतीय महिला क्रिकेट टीम, स्नेह राणा ने अमिताभ से की खास अपील

नोएडा : शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर करोड़ों की ठगी के आरोप में 4 गिरफ्तार

कपिल शर्मा ने खुद को 'इंडियन आइडल का विजेता' किया घोषित, श्रेया घोषाल के साथ गाया 'आंधी' फिल्म का गाना

नोएडा : 23.75 किलो गांजे के साथ महिला तस्कर गिरफ्तार