एक आम सुबह, जिसने जिंदगी का नजरिया ही बदल दिया
टेसा रोमेरो, पेशे से पत्रकार और समाजशास्त्री, अंडालूसिया, स्पेन में रहती हैं। एक सुबह वे हमेशा की तरह अपनी बेटियों को स्कूल छोड़ने निकलीं। सब कुछ सामान्य था। लेकिन रास्ते में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी, और वे बेहोश होकर ज़मीन पर गिर पड़ीं।
किसी को अंदाज़ा नहीं था कि उनकी साँसें रुक चुकी हैं। अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने CPR (दिल को फिर से चालू करने की प्रक्रिया) शुरू की। लेकिन 24 मिनट तक टेसा का दिल बंद रहा – जो सामान्यतः “क्लिनिकल डेथ” की स्थिति होती है।
मौत के बाद की 'शांति'
टेसा की यह मौत 24 मिनट तक रही, लेकिन उनके मुताबिक, वे इस दौरान एक दूसरी दुनिया में थीं। वे लिखती हैं कि उन्हें पहली बार ऐसा सुकून महसूस हुआ, जैसा उन्होंने जीवन में कभी नहीं किया। न कोई शारीरिक दर्द था, न मानसिक बोझ।
टेसा बताती हैं, "ऐसा लग रहा था जैसे कोई अदृश्य बोझ मेरे कंधों से उतर गया हो। एक अजीब-सी शांति, जिसे शब्दों में बताना मुश्किल है।"
उन्होंने एक आउट-ऑफ-बॉडी एक्सपीरियंस (शरीर से बाहर होने का अनुभव) का भी ज़िक्र किया। “मैं छत के ऊपर हवा में थी, नीचे एक शरीर पड़ा था। पहले समझ नहीं आया कि वो मैं हूं। मुझे ज़िंदा महसूस हो रहा था, लेकिन कोई मुझे देख या सुन नहीं पा रहा था।”
टेसा जैसी शिक्षित महिला, जो हमेशा इन अनुभवों को कल्पना मानती थीं, अब खुद एक गवाह बन गई हैं। जब वे फिर से होश में आईं, तो उन्होंने कहा, "ये कोई सपना नहीं था, सब कुछ बेहद असली था। समय धीमा हो गया था, चीज़ों में गहराई थी।"
इस अनुभव ने उनके जीवन और मृत्यु के प्रति सोच को बदल डाला। अब उन्हें मरने से डर नहीं लगता। “अब मुझे यकीन है कि मौत अंत नहीं है, वो एक बदलाव है, एक दरवाज़ा जो एक शांत और प्रेम से भरी दुनिया की ओर खुलता है।”
महीनों से बीमार, लेकिन कोई बीमारी नहीं मिली
टेसा की तबीयत पिछले कुछ महीनों से बिगड़ रही थी। शरीर कमज़ोर होता जा रहा था, लेकिन डॉक्टरों को कोई स्पष्ट कारण नहीं मिल रहा था। कई टेस्ट, रिपोर्ट, सलाहें हुईं, लेकिन बीमारी का नाम नहीं मिला।
सर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट और वैज्ञानिकों ने अंत में कहा – शायद यह शारीरिक बीमारी नहीं, भावनात्मक कारणों से है। टेसा ने माना कि वे मानसिक रूप से काफी दबाव में थीं और अपने दुखों को अंदर दबाए हुए थीं।
“शायद वही दबे हुए दर्द मेरे शरीर से बाहर आ रहे थे। मन का बोझ शरीर पर असर कर रहा था,” उन्होंने अपनी किताब में लिखा।
मौत को छूकर लौटी और लिख दी ज़िंदगी की नई कहानी
अपने अनुभव को लेकर टेसा ने एक किताब भी लिखी है, जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया है कि उन्होंने उस 24 मिनट में क्या महसूस किया। किताब में उन्होंने बताया कि समय जैसे थम गया था, हर भावना साफ और अर्थपूर्ण लग रही थी।
उनका मानना है कि यह अनुभव एक संदेश लेकर आया है, कि हम इस जीवन में जितना सोचते हैं, उससे कहीं ज़्यादा हैं। “हम केवल शरीर नहीं हैं, हमारे भीतर एक ऊर्जा है, एक आत्मा है, जो इस जीवन से परे भी मौजूद रहती है।”
मौत के इतने करीब पहुंचने के बाद, टेसा का जीवन पूरी तरह बदल गया है। अब वे हर दिन को महत्व देती हैं। उन्होंने लिखा, “अब मैं जीवन को एक उपहार मानती हूं, और हर दिन को पूरी तरह जीती हूं।”
वो अब मानती हैं कि हम अकेले नहीं हैं। “कोई शक्ति, कोई ऊर्जा, हमारे साथ है – चाहे हम उसे भगवान कहें, प्रकृति कहें या कुछ और।”
टेसा रोमेरो की यह घटना सिर्फ एक व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि समाज के लिए सोचने का विषय भी है।
1. मौत का डर कम हो सकता है: अगर ऐसी घटनाएँ सही हैं, तो मौत को सिर्फ अंत नहीं, एक नई शुरुआत माना जा सकता है।
2. भावनात्मक स्वास्थ्य का महत्व: टेसा की बीमारी बताती है कि अगर मन में दुख और तनाव दबा रह जाए, तो वह शरीर पर असर डाल सकता है।
3. विज्ञान और अनुभव: मेडिकल साइंस अभी तक मौत के बाद की स्थिति को पूरी तरह नहीं समझ पाया है, लेकिन ऐसे अनुभव इसे चुनौती देते हैं।
निष्कर्ष:
टेसा की कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या मौत सच में अंत है, या कोई और सफ़र शुरू होता है?
हालाँकि विज्ञान इस पर अभी भी पूरी तरह सहमत नहीं है, लेकिन दुनिया भर में लाखों लोगों ने मौत के करीब पहुंचने के बाद इसी तरह के अनुभव साझा किए हैं।
टेसा रोमेरो की यह सच्ची घटना हमें जीवन, मृत्यु, आत्मा और समय के अर्थ पर दोबारा सोचने का मौका देती है। शायद यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन को हर दिन, हर पल सच्चे दिल से जीना चाहिए, क्योंकि हम नहीं जानते कि अगला पल क्या लाएगा।